दुनिया भर में सक्रीय हो रहे हैं “इस्लामिक स्लीपर सेल”, रोहिंग्या शरणार्थी और इस्लामिक विस्तारवादी षड़यंत्र
क्या है रोहिंग्या त्रासदी और उसका कारन ?
25 अगस्त को विद्रोही अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी नमक रोहिंग्यों के संगठन ने कई पुलिस थानों में आग लगा दी है जिसके बाद वहां हिंसा शुरू हुई. एमनेस्टी का कहना है कि उसके पास इस बात के सबूत हैं कि रोहिंग्या चरमपंथी स्थानीय रखाइन बौद्धों के गांव जला रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के दूत ने रोहिंग्या मुस्लिम चरमपंथियों पर हिंसा का आरोप लगाया था. वहीं सरकारी प्रवक्ता ज़ॉ ह्ते ने विस्थापितों से म्यांमार में अस्थाई शिविरों में शरण लेने को कहा गया है लेकिन जो लोग बांग्लादेश भाग गए हैं उन्हें म्यांमार लौटने नहीं दिया जाएगा.
म्यांमार में सेना के “जनरल मिन आंग ह्लैंग” ने कहा कि ‘रखाइन बौद्ध कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं और मुस्लिम चरमपंथी उनके साथ हिंसा कर रहे हैं’! अब म्यांमार सेना रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी से लड़ रही है और उनके संभाविक समर्थकों को भी उस प्रान्त से खदेड़ रही है और कई गाँव खाली हो चुके हैं! लगभग ३०% रखाइन प्रान्त खली हो चूका है ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है और वहां रह रहे मुस्लिम्स और हिन्दू विस्थापित हो चुके हैं !
कौन हैं रोहिंग्या ?
रोहिंग्या समुदाय के करीब 10 लाख लोग म्यांमार में रहते हैं, मुस्लिमों के अलावा इनमें कई हिंदू भी हैं.
माना जाता है कि रोहिंग्या मुस्लिमों का उद्गमस्थल बांग्लादेश या बंगाल में था लेकिन वो कई सदियों से म्यांमार में बसे हैं. रोहिंग्या मुस्लिम कई पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे हैं लेकिन उन्हें वहां की नागरिकता नहीं मिल रही है. म्यांमार सरकार बाहरी लोगों को नागरिकता नहीं देती है और ये उनकी पुरानी स्पष्ट नीति है!
किसी समय में रोहिंग्या म्यांमार में शरणार्थी के रूप में ही जाकर बसे थे और उस समय का म्यांमार का उन्हें शरण देना आज समस्याओं का कारन बन गया है! जहाँ एक तरफ म्यांमार को इनकी कट्टरता और आतंक से लड़ना पड़ रहा है वहीँ दूसरी ओर पूरे विश्व में उसे निंदा का सामना करना पड़ रहा है!
दुनिया भर में सक्रीय हो रहे हैं “इस्लामिक स्लीपर सेल”, देशों के नागरिक से लेकर “मानवाधिकार” संगठनो” तक रोहिंग्या मुस्लिम्स के लिए उठ रही आवाज :
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि रोहिंग्या मुस्लिम विनाशकारी मानवीय संकट झेल रहे हैं और गांवों पर हमले स्वीकार नहीं किए जा सकते.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हिंसा को ख़त्म करने के लिए तुरंत क़दम उठाने की अपील की है.
एमनेस्टी ने कहा है कि उसने फायर डिटेक्शन डेटा, सैटेलाइट इमेजरी, तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से नए सबूत जुटाए हैं, इसके अलावा चश्मदीदों के बयान भी हैं.
NGO एमनेस्टी की एक मुस्लिम अधिकारी तिराना हसन ने दुनिया के सामने आकर कहा, “सबूतों को नकारा नहीं जा सकता है, म्यांमार के सुरक्षा बल रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार से बाहर धकेलने के लिए उत्तरी रखाइन प्रांत में आग लगाने का सुनियोजित अभियान चला रहे हैं. ये कहने में कोई भूल नहीं होगी कि ये जातीय नरसंहार है.”
क्या है इस्लाम से फैली अव्यवस्था और हिंसा का कारण ?
इसका कारन इनकी एक पुराणी धर्मपंथी मान्यता है जिसमे क़यामत आना और दुनिया का तबाह होना तय है और उससे पहले इन्हें सबको मुस्लिम बनाने का लक्ष्य है तभी इनका उद्धार होगा! इसी विचार के तहत पूरे विश्व में अनगिनत मुस्लिम संगठन बने हुए हैं जो इस दिशा में अपनी अपनी विधि और सुविधा के अनुरूप कार्य करते हैं!
इन संगठनों में कुछ आतंकवादी संगठन हैं और कुछ शांतिप्रिय संगठन जो आतंकियों को भटके हुए लोग बता कर इस्लाम का बचाव करते हुए एक दूसरे की सहायता करते हैं! इसके अलावा कई इस्लामिक एजेंट दुनिया के अलग अलग देशों में सरकारी व्यवस्थाओं से लेकर मानवाधिकार संगठनों तक में घुसे हुए हैं और मुस्लिमों के गलत कार्य करने पर उनके बचाव के लिए कार्य करते हैं!
इसी षड़यंत्र के तहत पूरे विश्व में पहले सीरिया के मुस्लिम्स और अब रोहिंग्या मुस्लिम्स के लिए मांगे उठ रही है, ताकि इन्हे शरण और फलने फूलने के मौके किसी और देश, सभ्यता, संस्कृति के खर्चे पर मिले जहाँ रह कर ये उनकी व्यवस्था में घुस कर उसे बिगाड़ें और उसपर कब्ज़ा करने की कोशिश करें जैसा आज यूरोप के देशों (जर्मनी, फ्रांस और इंग्लैंड इत्यादि) में हो रहा है !
वहां अब शरणार्थियों द्वारा आतंकवादी हमला, दंगे, बलात्कार, अपराध की खबरें निरंतर आने लगी हैं और जगह जगह ये इस्लाम और शरिया की मांग करने लगे हैं! ऐसी निर्लज अकृतज्ञ नमकहरामी करने वालों के लिए पूरे विश्व से आवाजें उठना एक बड़े नेटवर्क गिरोह की और इशारा करता है! भारत को ऐसे षड्यंत्र में फसने से बचना चाहिए और हिंसक प्रजाति को शरण नहीं देनी चाहिए जो कुछ दिनों में आपकी नागरिकता लेकर आपके अधिकार और संसाधनों पर कब्ज़ा कर आपके जीवन को दूभर, कठिन और संघर्षपूर्ण बना देंगे!
भारत पर भी है इस्लामिक आतंकवाद का ख़तरा :
इस्लामिक स्लीपर सेल भारत में सक्रीय हो रोहिंग्या मुस्लिम्स को भारत में बसाने की मांग कर रहे हैं और इसके परिणाम भी आगे वही होंगे जो म्यांमार में हो रहा है! मुस्लिम्स विश्व में किसी भी देश में किसी भी समुदाय के साथ शांति से नहीं रह सकते ये पूरी दुनिया देख रही है! जहाँ केवल मुस्लमान ही बचे हैं वहां ये आपस में ही लड़ मर रहे हैं! ऐसे में इन्हे किसी भी देश की सुरक्षा व्यवस्था को ख़तरा कहना गलत नहीं होगा!
भारत की ढीली प्रजातान्त्रिक व्यवस्था और वोट बैंक के लालची नेताओं का फायदा उठा कर पहले ही तीन से साढ़े तीन करोड़ बांग्लादेशी और पाकिस्तानी मुस्लमान घुसपैठ कर भारत में रह रहे हैं जिनमे कइयों ने यहाँ की नागरिकता और पहचानपत्र भी प्राप्त कर लिए हैं और भारत में आतंकवादियों और पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर आवाजें उठने लगी हैं! ऐसे में अंधश्रद्धा में डूबे अनपढ़ रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देना भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए भारी ख़तरा साबित होगा!
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