उत्तर प्रदेश में कभी मजबूत राजनैतिक हैसियत रखने वाली पूर्व मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने अभी तक म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानो को डरा , सहमा , मासूम और शांति के प्रतीक के रूप में माना है और भारत सरकार को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि वो इन पर सख्ती ना करे।
बता दें एक तरफ जहां मोदी सरकार म्यांमार से भारत आकर बसे रोहिंग्या मुस्लिमों को दोबारा म्यांमार भेजने की तैयारी कर रही है। वहीं दूसरी ओर देश में ही रोहिंग्या मुसलमानों को तथाकथित सेक्युलर नेताओ का समर्थन मिलने लगा है। इसी क्रम में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के साथ मानवता का रवैया अपनाए।
मायावती ने एक बयान में कहा है कि अत्यंत गरीब और असहाय शरणार्थी रोहिंग्या मुसलमानों की प्रति भारत सरकार मानवता और इंसानियत के नाते सहानुभूति पूर्ण रवैया अपनाए। यही भारत की परंपरा रही है। मायावती का कहना है कि केंद्र सरकार राज्यों को भी इनके प्रति सख्त रवैया अपनाने के लिए मजबूर न करे।
मायावती ने मांग की है कि म्यांमार और बांग्लादेश की सरकार से भारत सरकार को बातचीत करके रोहिंग्या मुसलमानों के मामले को समझाने का प्रयास करना चाहिए। ताकि उनका पलायन अपने देश में भी रुक सके। वहीं रोहिंग्या मुसलमानों के पलायन के मुद्दे पर गृह मंत्रालय पहले ही अपना रुख साफ कर चुका है, उसने कहा है कि भारत रोहिंग्या मुसलमानों को शरण नहीं देगा, उन्हें अपने देश लौटना होगा।
गौरतलब है कि मायावती और उनकी पार्टी को बुद्ध समाज की पार्टी भी कहा जाता है। बसपा के कई नेताओं को नमो बुद्धाय का नारा लगाते भी देखा गया है। लेकिन रोहिंग्या मुस्लिमो पर जो मायावती का वयान सामने आया है वो चौकाने वाला है और साथ में ही एक नयी बहस भी शुरू कर गया है कि आखिर असली बौद्ध कौन और नकली बौद्ध कौन ? जिन रोहिंग्यों ने म्यांमार के बौद्धों का खुलेआम कत्लेआम किया। मायावती उन्ही रोहिंग्या मुस्लिमो के साथ खड़ी हो गयीं।