उत्तर प्रदेश के देवबंद में लगातार आंतकी गतिविधियों की सूचनाओं और हाल ही में दो संदिग्ध बांग्लादेशी आतंकियों के पकड़े जाने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस देवंबद समेत सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिलों में सभी पासपोर्ट धारकों के कागजात के सत्यापन का काम शुरू करने वाली है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से राज्य में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा है। जिन अधिकारियों ने इन बांग्लादेशी नागरिकों को आईडी कार्ड दिलाने में मदद की उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा गया है।
सहारनपुर के डीआईजी केएस इमैन्युअल ने टाइम्स अॉफ इंडिया को बताया कि, यह सिर्फ देवबंद या किसी खास समुदाय के लिए नहीं है। मुजफ्फरनगर और सहारनपुर के पासपोर्ट धारकों की भी वेरिफिकेशन होगी। दरअसल इस तरह की खुफिया सूचनाएं मिली हैं कि कुछ ऐसे आतंकी मॉड्यूल यहां छिपे हुए हैं। इससे पहले भी ऐसे कई वाकये यहां हुए हैं जब संदिग्ध यहां पकड़े गए हैं।
पुलिस के मुताबिक जो बांग्लादेशी आतंकी अगस्त में मुजफ्फरनगर में पकड़े गए थे, उनके पासपोर्ट सहारनपुर में ही बने थे। इसके चलते इस क्षेत्र के सभी पासपोर्ट धारकों का सत्यापन हो रहा है। अगस्त में यूपी एटीएस ने बांग्लादेशी नागरिक अब्दुल्ला अल-मामून को पकड़ा था. वह प्रतिबंधित आतंकी संगठन अंसारुल्ला बांग्ला टीम (एबीटी) का सदस्य था. वह मुजफ्फरनगर में पकड़े जाने से पहले देवबंद में कई सालों तक छिपा रहा, उसके पकड़े जाने के बाद से कई सहयोगियों को पकड़ा गया है।
यूपी पुलिस का दावा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 20 बांग्लादेशी युवा अंसर्रुल्ला बांग्ला टीम के संपर्क में थे। ये सभी 20 बांग्लादेशी अब गायब हो गए हैं। हाल ही में राज्य सरकार ने भी प्रदेश के सभी जिलों के डीएम को ऐसे बांग्लादेशियों की पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था जो प्रदेश में अवैध तरीके से रह रहे हैं।
प्रमुख सचिव अरविंद कुमार की तरफ से सभी डीएम को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए जिन्होंने अवैध तरीके से रह रहे बांग्लादेशियों को देश का पहचान पत्र बनवाने में उनकी मदद की। पुलिस के अवैध तरीके से यहां रह रहे लोगों के फिंगरप्रिंट लेकर राज्य फिंगरप्रिंट ब्यूरो को भेजने को कहा गया है। साथ ही यह भी लिखा गया है कि अवैध तरीके से रह रहे इन लोगों को वापस भेजने की तैयारी शुरू कर दी जाए।