rohingya 3213

सुप्रीम कोर्ट में “मोदी सरकार” का हलफनामा, देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है रोहिंग्या, वापस भेजना ही होगा

म्यांमार के विस्थापित रोहिंग्या मुसलमानो को वापस म्यांमार भेजने के मामले में आज मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान भारत में नहीं रह सकते हैं। रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। हलफनामे में सरकार ने कहा है कि रोहिंग्याओं के आतंकी समूहों से संबंध हो सकते हैं और हो सकता है कि इन लोगों को आईएसआईएस द्वारा इस्तेमाल किया जाए।

केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमो को वापस भेजा जाना ही देश के हित में है। साथ ही न्यायालय से इस मामले में दखल न देने की अपील भी की है।

पढ़ें: रोहिंग्या मुसलमानों पर दिखावटी है मुस्लिम देशों का विरोध..इस्लाम की विस्तारवादी राजनीती का हिस्सा

आपको बता दें कि सरकार ने ये दावा किया है कि उसे ये खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि ये मौलिक अधिकारों के तहत नहीं आता है। ये संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आता है।

अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि खुफिया एजेंसियों के पास इस बात की जानकारी है कि रोहिंग्या समुदाय के कुछ लोगों के आतंकी समूहों से संबंध हैं। सरकार ने कहा कि ये समूह जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय हैं।

पढ़ें: केरल में लेफ्ट के प्रसारित वीडियो से “सोशल मीडिया” के तथाकथित “राष्ट्रवादी” बने मूर्ख

इस समय भारत में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से रह रहे हैं। भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। अब सुप्रीम कोर्ट 18 सितंबर को सुनवाई करेगा।

वहीं रोहिंग्या मुसलमानो ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उनका आतंकवाद और किसी आतंकी संगठन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने अपनी याचिका में ये भी कहा कि उन्हें सिर्फ मुसलमान होने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में रहने वाले करीब 7 हजार रोहिंग्या मुस्लिमो की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि हमारा आतंकवाद से कोई लेना देना नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि जब से हम जम्मू कश्मीर में रह रहे हैं तब से हम पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगा जिससे हमारे आतंकवादियों से कोई सम्बन्ध हो। और ना ही कोई रोहिंग्या आतंकी गतिविधियों में शामिल नहीं पाया गया।

पढ़ें: लद्दाख में ‘लव जिहाद’ की दस्तक, बौद्ध संगठन ने जताई नाराज़गी …

बता दें इससे पहले जम्मू-कश्मीर के दौरे पर गए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा था कि गैरकानूनी ढंग से रह रहे विदेशी प्रवासियों से मजबूती से निपटा जाएगा। इससे पहले अगस्त में केंद्र सरकार ने कहा था कि सुरक्षा के मद्देनजर रोहिंग्या देश के लिए बड़ी चुनौती हो सकते हैं। हो सकता है कि उन्हें आतंकी समूहों द्वारा नियुक्त किया गया हो। केंद्र ने राज्य सरकारों से ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने के लिए कहा है।

उल्लेखनीय है कि रोहिंग्या मुसलमानों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ भारत के मुसलमानो ने कुछ दिन पहले पुरे देश में जगह जगह विरोध प्रदर्शन किया था।

पढ़ें: योगी सरकार की मदरसों पर बड़ी कार्यवाई, प्रदेश के 46 मदरसों का अनुदान रोका

उल्लेखनीय है कि म्यामांर में हिंसा के बीच हजारों रोहिंग्या मुसलमान म्यांमार से भागकर बांग्लादेश आ गए हैं, लेकिन बांग्लादेश ने भी उन्हें अपने यहाँ बसाने से मना कर दिया है और एक ऐसे सुदूर द्वीप पर बसने को कहा है जहाँ साल बाढ़ आती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *