विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह नॉर्थ कोरिया दौरे पर हैं. पिछले 20 साल में भारत की ओर से यह पहली उच्चस्तरीय यात्रा है, जब भारत का कोई मंत्री उत्तर कोरिया दौरे पर है। वी.के. सिंह ने यहां विदेश मंत्री रि योंग हो समेत अन्य नेताओं के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। खास बात यह है कि सिंह के इस दौरे को लेकर विदेश मंत्रालय अब तक चुप्पी साधे हुए है.
सूत्रों के मुताबिक वी. के. सिंह चीन होते हुए मंगलवार को प्योंगयांग पहुंचे हैं और वहां वह अपने समकक्षों से मुलाकात की हैं. इस मुलाकात के बाद दोनों देशों की तरफ से प्रेस स्टेटमेंट जारी हो सकते हैं. सिंह का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अगले महीने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सिंगापुर में शिखर वार्ता होने वाली है.
बता दें केंद्रीय मंत्री वी. के. सिंह ने उत्तर कोरिया के नेताओं के साथ परमाणु प्रसार पर भारत की चिंताओं को भी उठाया। भारतीय मंत्री की यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की बैठक के एक महीने से कम समय पहले हो रही है। इस यात्रा को वार्ता से पहले भारत की प्योंगयांग तक पहुंच के प्रयासों के रूप में भी देखा जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि उत्तर कोरिया के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि प्योंगयांग ऐसी किसी कार्रवाई की अनुमति नहीं देगा जिससे भारत की सुरक्षा को लेकर चिंता पैदा हो। भारत लगातार उत्तर कोरिया के संभावित परमाणु प्रसार को पाकिस्तान से जोड़ता रहा है। साथ ही इस मामले में जांच की मांग भी करता रहा है।
जनरल सिंह की प्योंगयांग यात्रा क्यों है खास-
विदेश राज्य मंत्री की इस तरह से बगैर किसी प्रचार प्रसार के उत्तर कोरिया पहुंचने के कई मायने निकाले जा रहे है। माना जा रहा है कि जनरल सिंह ने चीन के रास्ते प्योंगयांग जा कर अमेरिका को यह संकेत देने की कोशिश की है कि भारत अपने हितों के मुताबिक ही कूटनीतिक कदम उठाएगा।
गौरतलब है कि अक्टूबर, 2017 में जब तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन नई दिल्ली आये थे तब भारत पर यह दबाव बनाया था कि वह उत्तर कोरिया से रिश्ते तोड़ ले और वहां अपने दूतावास को बंद करे। भारत ने इससे इंकार कर दिया था। वर्ष 2016-17 में भारत उत्तर कोरिया का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार देश था। दो वर्ष पहले तक भारत उत्तर कोरिया के प्रशासनिक व सैन्य अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दे रहा था। अब जबकि उत्तर कोरिया से शांति वार्ता चल रही है तो भारत भी यह संदेश दे दिया है कि वह उत्तर कोरिया के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने को उत्सुक है।