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सिविल सर्विस एग्जाम सिस्टम में बड़े बदलाव करेगी मोदी सरकार, अब टॉपर को नहीं मिलेगा IAS काडर

केंद्र की मोदी सरकार जल्दी ही सिविल सर्विस परीक्षा के वर्षों पुराने सिस्टम में बड़ा बदलाव करने जा रही है। इस बदलाव के अंतर्गत अब सिविल की परीक्षा में सफल लोगों के लिए नौकरी और काडर चुनने में किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यावहारिक ज्ञान को भी जांचा परखा जाएगा। इस बदलाव के बाद व्यावहारिक ज्ञान में मिले नंबरों से ही तय होगा कि वे किस सेवा में जाने के लायक हैं।

सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी की सलाह के बाद नए सिस्टम को इसी साल से लागू करने की उम्मीद है। नए सिस्टम के तहत संभव है कि परीक्षा में टॉपर को आईएएस काडर न मिले और कम रैंक पाने वाले भी ट्रेनिंग में बेहतर प्रदर्शन करने से आईएएस बन जाएं। पीएमओ के निर्देश पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने इस सिस्टम को लागू करने के लिए तमाम पक्षों से राय मांगी है।

प्रस्ताव के अनुसार सफल कैंडिडेट्स को फाउंडेशन कोर्स पूरा करने के बाद और इसमें मिले अंक के आधार पर ही राज्य और सर्विस अलॉट की जाएगी। अभी सिविल सर्विस परीक्षा के नतीजों के आधार पर काडर और सर्विस तय होती है। टॉपर को सामान्य तौर पर आईएएस और बड़े राज्य काडर के रूप में मिलते रहे हैं। आईपीएस, आईएफएस के अलावा केंद्रीय सेवाओं की ग्रेड ए नौकरी के लिए अधिकारी इस परीक्षा से चुने जाते हैं।

मतलब अगर नया सिस्टम लागू हुआ तो अब ट्रेनिंग के बाद ही तय हो पाएगा कि किसे कौन सी सेवा और राज्य काडर मिलेगा। इसमें मिले नंबर सिविल सर्विस परीक्षा के अंतिम परिणाम में जुड़ेंगे, जिसके बाद रैंक बनेगी। मोदी सरकार की मंशा है कि देश के नए आईएएस अधिकारी ट्रेनिंग में किताबी ज्ञान से अधिक व्यावहारिक दुनिया को समझें।

आइडिया ऑफ इंडिया को हकीकत की दुनिया से समझें और जानें। पॉलिटिकल सिस्टम और इसके गवर्नेंस पर प्रभाव को जानें। मौजूदा ट्रेनिंग सिस्टम में बदलाव को लेकर अग्रवाल कमिटी की रिपोर्ट की अधिकतर सिफारिशों को सरकार ने मान लिया है। मालूम हो कि मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद इन सेवाओं की ट्रेनिंग में कई अहम बदलाव किए हैं।

2015 में नए आईएएस अधिकारियों को ट्रेनिंग के दौरान केंद्र में तीन महीने बतौर असिस्टेंट सेक्रटरी के रूप में ट्रेनिंग पाना जरूरी कर दिया गया था। इस दौरान उन्हें केंद्रीय योजनाओं और उनके क्रियान्वयन के बारे में नजदीक से जानकारी दी जाती है। अग्रवाल कमिटी ने ट्रेनिंग में बदलाव से पहले 180 आईएएस अधिकारियों के बीच जाकर उनसे विचार जाने थे। इनमें 127 पुरुष और 27 महिला आईएएस अधिकारी थी।

Source:NBT