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कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार, क्या बहुमत साबित कर पांच साल सरकार चला पाएंगे येदियुरप्पा?

कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला की तरफ से सरकार बनाने का निमंत्रण मिलने के बाद येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ ले ली है। अब बीजेपी के पास सबसे बड़ी चुनौती बहुमत साबित करने की है। येदुयुरप्पा सरकार विधानसभा में विश्वासत मत हासिल करने के बाद मंत्रिमंडल को शपथ दिलाएगी। अभी बीजेपी के पास विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन आंकड़ों को पक्ष में करने के लिए खास योजना है।

बीजेपी को विपक्षी दलों के उन लिंगायत विधायकों से उम्मीद है जो कांग्रेस-जेडीएस के पोस्ट पोल गठबंधन से नाराज बताए जा रहे हैं क्योंकि इसका मुखिया वोकलिंगा समुदाय के कुमारस्वामी को बनाया गया है।

आपको बता दें शपथ ग्रहण समारोह के दौरान येदियुरप्पा के स्वागत के लिए राजभवन के बाहर भव्य तैयारियां की गई थी। ढोल-नगाड़ों से पूरा माहौल संगीतमय हो गया था। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले येदियुरप्पा ने मंदिर में पूजा-अर्चना की। राजभवन के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह देखने ही बन रहा था. भाजपा कार्यकर्ताओं ने राजभवन के बाहर वंदे मातरम और मोदी-मोदी के नारे लगाए।

येदियुरप्पा के पास विधानसभा में बहुमत साबित करने का ये है फार्मूला-

मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने के बाद अब येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा। हालांकि येदियुरप्पा ने 2008 के विधानसभा चुनाव के बाद कुछ ऐसी ही विपरीत परिस्थियों में बहुमत साबित कर दिखाया था।

कर्नाटक में 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद जब जनता ने एक बंटा हुआ जनादेश दिया था तब बीजेपी ने ‘ऑपरेशन कमल’ के जरिये विधानसभा में बहुमत साबित किया था। वह फिर से वही फॉर्मूला दोहरा सकती है।

‘ऑपरेशन कमल’ बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की एक कुख्यात रणनीति थी। ‘ऑपरेशन कमल’ के तहत येदियुरप्पा ने विपक्षी पार्टी के विधायकों को पैसे और ताकत के बल पर खरीद लिया था। बीजेपी ने जेडी(एस) और कांग्रेस के 20 विधायकों को तोड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 और 2013 के बीच उपचुनाव में दोबारा चुनाव लड़ा।

2018 की विधानसभा में बीजेपी को सिर्फ 104 सीटें मिली हैं। बीजेपी को तकनीकी रूप से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कम से कम 5-6 विधायक इस्तीफा दे दें, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 106-108 हो जाए और यह सुनिश्चित कर दे कि बीजेपी उम्मीदवार उपचुनाव जीत जाएं।

येदियुरप्पा को मिल सकता है लिंगायत विधायकों का साथ-

बताया जा रहा है कांग्रेस और जेडीएस के करीब दर्जन भर लिंगायत विधायक अपने समुदाय से आने वाले सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा के नाम के पीछे जा सकते हैं। कांग्रेस की तरफ से अल्पसंख्यक समुदाय का कार्ड चलने के बावजूद लिंगायत समुदाय ने चुनावों में बड़े पैमाने पर बीजेपी का साथ दिया। कर्नाटक में वोकलिंगा और लिंगायत समुदाय के तबसे अदावत चली आ रही है जब 2007 में बीजेपी के साथ कार्यकाल बंटवारे के गठबंधन के बावजूद सीएम की कुर्सी छोड़ने से इनकार कर दिया था।