16वीं सदी में कर्नाटक के हम्पी में निर्मित विट्ठल मंदिर जो भगवान विट्ठल या भगवान विष्णु को समर्पित है। इस मंदिर के संगीत खम्भों का रहस्य अब तक उजागर नहीं हो सका है। दरअसल, इस मंदिर में 56 स्तम्भ हैं, जिन्हें थपथपाने पर संगीत सुनाई देता है।
पत्थर से बना रथ। रथ भी ऐसा कि जिसके हरेक पार्ट को खोलकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस रथ के ऊपर जो खंबे बने हैं, उन्हें बजाने पर उसमें से संगीत निकलता है। जो आज से 600 साल पहले बनाया गया था।
तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित यह मंदिर मूल दक्षिण भारतीय द्रविड़ मंदिरों की स्थापत्य शैली का प्रतिनिधित्व करता है।
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विट्ठल मंदिर का निर्माण राजा देवराय द्वितीय के शासनकाल के दौरान किया गया था और यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य द्वारा अपनाई गई शैली का प्रतीक है।
पर्यटक मंदिर के अलंकृत स्तंभों और बारीक नक्काशियों से प्रभावित हो जाते हैं। विट्ठल मंदिर की उत्कृष्ट आकृतियां हैं। मूर्तियों को भीतर के गर्भगृह में रखा गया है और यहां केवल मुख्य पुजारी ही प्रवेश कर सकते हैं।
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इस मंदिर के परिवेश में मौजूद एक पत्थर का रथ इस मंदिर का एक अन्य प्रमुख आकर्षण है। इसे गरुड़ मंडप कहते हैं।
परिसर की पूर्वी दिशा में स्थित, यह रथ वजनदार होने के बावजूद इसके पत्थर के पहियों की मदद से इसे स्थानांतरित किया जा सकता है।
मंदिर के परिसर के भीतर कई मंडप, मंदिर और विशाल कक्ष भी बनाए गए हैं।