ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है मुसलमानों के पर्सनल लॉ पर हमले का प्रयास किया जा रहा है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बोर्ड को शरीयत के मामले में कोर्ट का दखल बर्दाश्त नहीं है। भोपाल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में तीन तलाक और बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर कुछ बड़े फैसले होने तय हैं। तीन तलाक पर बहस में शरीयत के मामले में कोर्ट का दखल बर्दाश्त नहीं होने की बात कहीं गई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि देश के संविधान ने सभी को मजहबी आजादी दी है लिहाजा उसे शरीयत में किसी भी तरह का दखल मंजूर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के हाल में आए फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए इसे पर्सनल लॉ पर हमला माना है। हालांकि बोर्ड ने शरिया कानून में सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का फैसला किया है। यह समिति 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
भोपाल में पर्सनल लॉ बोर्ड की दिन भर चली बैठक के बाद वर्किंग कमेटी के सदस्य कमाल फ़ारुकी ने कहा कि बोर्ड में फैसला लिया गया है कि शरीयत में किसी भी तरह का दख़ल मंज़ूर नही है. वहीं संविधान में जो संरक्षण दूसरे धर्मो के लोगों को मिला है, वही संरक्षण मुसलमानों को भी मिलना चाहिए।
Madhya Pradesh: Meeting of executive committee of All India Personal Law Board over Supreme Court’s verdict on #TripleTalaq to begin shortly pic.twitter.com/YWzzVzvaYf
— ANI (@ANI) September 10, 2017
बैठक में शामिल आरिफ मसूद ने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बन गयी है कि शरीअत में कोर्ट का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा। मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की राय है कि केंद्र सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ की धारा 25 के साथ न करें छेड़छाड़। यह धारा धार्मिक आजादी से जुड़ी है। इसी के साथ बैठक में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मोब लिंचिंग के खिलाफ कोर्ट में केस करने पर विचार कर रहा है। यह मुद्दा बैठक में उठा है। इस केस में सरकार को पार्टी बनाने पर चर्चा की गई है।
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि केंद्र की सत्ता पर काबिज पार्टी अब हिंदू तथा मुसलमानों को लड़ाकर सियासी लाभ लेने की जुगत में है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में बोर्ड के 40 सदस्य हिस्सा ले रहे हैं। इनमें सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी हैं।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव वली रहमान ने कहा कि चाहे तीन तलाक का मामला हो या फिर बाबरी मस्जिद का मामला। हम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में इन फैसलों पर मुहर लगाएंगे। हमको बाहर का कोई हस्तक्षेप मंजूर नहीं है।
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बोर्ड की सदस्य और महिला विंग की संयोजक असमा जेहरा ने कहा कि तलाक के चंद मामलों का कोर्ट में जाने से यह मतलब नहीं है कि मज़हब के अंदर औरतों का उत्पीड़न हो रहा है. उन्होंने कहा कि अभी भी ज्यादातर मुसलिम औरतें शरीयत के साथ है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने विगत 22 अगस्त को अपने फैसले में एक बार में ही तीन तलाक कहने (तलाक-ए-बिद्दत) की परंपरा को असंवैधानिक मानते हुए गैरकानूनी बताया था। पांच जजों की बेंच के 3-2 के बहुमत से आए इस फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया था। भोपाल की बैठक में अगली रणनीति का खुलासा करने की बात कही थी। लिहाजा इस बैठक पर सबकी नजरें थीं।
सूत्रों का कहना है कि कई सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। हालांकि शुरुआत में बोर्ड के महासचिव मौलाना सैयद मोहम्मद वली रहमानी ने मीडिया से इतना भर कहा कि तीन तलाक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हम नाखुश हैं।