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क्या अस्तित्व बचाने हिंदुत्व की ओर लौट रही सपा, बूढ़े मुलायम बोले राम से ज्यादा कृष्ण को मानते हैं लोग

समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और अपने बेटे अखिलेश द्वारा पार्टी से दरकिनार किये गए मुलायम सिंह यादव ने अब एक नया तीर छोड़ा है। जी हाँ रविवार को गाजियाबाद पहुंचे मुलायम सिंह यादव ने यहाँ एक कार्यक्रम में भगवन श्री राम और श्री कृष्ण कि तुलना करते हुए ऐसा अजीबो गरीब बयान दे दिया जिससे सियासी जंग शुरू हो गयी है। मुलायम सिंह ने कहा भगवान राम से ज्यादा लोग श्रीकृष्ण को पूजते हैं।

मुलायम सिंह ने कहा कि भगवान राम को पूजा करने वाले कम लोग हैं, जबकि श्रीकृष्ण को मानने वाले ज़्यादा हैं. उन्होंने कहा कि श्रीराम को सिर्फ उत्तर भारत में पूजा जाता है लेकिन श्रीकृष्ण के अनुयायी उत्तर से लेकर दक्षिण तक हैं।

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आपको बता दें कि सपा अपने अस्तित्व को बचाने कि जद्दोजहद में लगी हुई है और अगर सपा हिंदुत्व कि ओर लौटती है तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसका उदहारण पिछले दिनों देखने को मिला जब अयोध्या में श्रीराम की मूर्ति लगाने की योगी सरकार की तैयारी का समाजवादी पाटी ने विरोध किया।

सपा ने इसे योगी सरकार की राम के नाम पर सियासत करार दिया. लेकिन इसके बाद सैफई में श्रीकृष्ण की मूर्ति लगा दी गई. जिस पर सियासत तेज हो गई। इस मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश ने सफाई दी कि ये प्रोजैक्ट तो दो साल पुराना है. कोई नया नहीं है।

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सैफई में कांसे की बनी भगवान कृष्ण की 50 फुट ऊंची प्रतिमा इन दिनों चर्चा का विषय बनी है. रथ का पहिया उठाने वाली मुद्रा में बनी इस प्रतिमा को मुलायम यादवों से जोड़कर देख रहे है। मूर्ति का यादव बहुल इलाके में लगाने का विचार उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का था. वहीं इस मूर्ति के लिए पैसा सैफई महोत्सव आयोजित करने वाली सैफई महोत्सव कमेटी ने दिया है।

वहीँ कुछ इतिहासकारों की माने तो मुलायम कुनवा जिन श्री कृष्ण को यादव वंश से जोड़कर देख रहा है और खुद को यादव घोषित कर रहा है वो यादव हैं ही नहीं।

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इतिहासकारों के मुताबिक श्री कृष्ण का जन्म यदुवंशी क्षत्रियों के भाटी वंश में हुआ था। मुलायम सिंह खुद को यादव घोषित कर रहे हैं ये अहीर हैं ना कि यादव। अहीर पहले ग्वाले हुआ करते थे अब भी ज्यादातर अहीर दूध भैंस पालन का ही काम करते हैं जो अब यादव लिखने लगे हैं।

खैर ज्यादा इतिहास में ना जाकर अब देखना ये है कि मुलायम कुनवा अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाने के लिए क्या क्या पैतरे अपनाता है।

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