अहमदाबाद में पाटीदार समाज के प्रमुख नेताओं की बैठक के बाद जो तस्वीर सामने आई उसने हार्दिक पटेल की मुहिम की हवा निकाल दी है। पाटीदार मुखियाओं ने बुधवार को अहमदाबाद में बैठक करके हार्दिक पटेल से अलग होने का फैसला कर लिया है।
पटेल ऑर्गेनाइजेशन कमेटी ने मिलकर यह फैसला लिया है कि हार्दिक ने पटेल समाज को गुमराह किया है लिहाजा अब उनका साथ नहीं दिया जाएगा. पाटीदार मुखियाओं ने यह भी आरोप लगाया है कि हार्दिक पटेल कांग्रेस का मोहरा बन चुके हैं। पाटीदारों के छह संगठन के को-ऑर्डिनेटर आरपी पटेल की बातों में हार्दिक पटेल से पाटीदारों के मोहभंग की एक झलक मिलती है। आरपी पटेल ने बैठक के बाद साफ कर दिया कि ‘हार्दिक अगर व्यक्तिगत तौर पर आंदोलन चलाना चाहते हैं तो चला सकते हैं लेकिन, उनके आंदोलन से समाज का कोई लेना-देना नहीं है।
’पाटीदारों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चलाने वाले हार्दिक पटेल गुजरात चुनाव में अपने-आप को बड़े नायक और पाटीदारों के सूबेदार के तौर पर पेश करने में लगे थे। इसी दम पर वे कांग्रेस से मोल-भाव भी कर लेना चाहते थे. लेकिन, पाटीदार समाज की तरफ से ही इस तरह की प्रतिक्रिया से उनके अरमानों पर फिलहाल पानी फिरता नजर आ रहा है।
पाटीदार समाज के भीतर ही उठ रही है मुखालफत में आवाज–
पाटीदार समाज के भीतर से उठ रही आवाजों ने हार्दिक पटेल की उम्मीदों को झटका दिया है, जिसमें वो अपने –आप को सबसे बडे सरदार के तौर पर स्थापित करने में लगे थे।
हार्दिक पटेल की कोशिश है कि इस बार विधानसभा चुनाव में वो किंगमेकर की भूमिका अदा करें. लेकिन, उनकी उम्मीदें अब धरी की धरी रह सकती हैं। आरक्षण को लेकर हार्दिक की तरफ से चलाई जा रही आंदोलन की मुहिम के वक्त उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले पाटीदारों के संगठन ने अब उनसे किनारा करने का फैसला कर लिया है।
हालांकि हार्दिक पटेल के खेमे और कांग्रेस के साथ बातचीत अभी भी जारी है. कांग्रेस ने हार्दिक की कई मांगे मान ली है लेकिन, आरक्षण के मुद्दे पर कोई ठोस आश्वासन अभी भी नहीं मिल पा रहा है।
पाटीदार आंदोलन शुरू करने वाले हार्दिक को अपने ही समाज ने छोड़ा-
कांग्रेस को डर सता रहा है कि पाटीदारों को आरक्षण का खुलकर समर्थन करने पर दूसरी पिछड़ी जातियों में नाराजगी हो सकती है. लिहाजा कांग्रेस भी इस मामले में पाटीदारों को अलग से आरक्षण दिए जाने की संभावना तलाशने के साथ-साथ उसके लिए कानूनी सलाह की बात कर रही है।
दरअसल कांग्रेस की मजबूरी है कि अल्पेश ठाकोर जैसे पिछड़े आंदोलनकारी नेता को अपने पाले में लाने के बाद अब वो हार्दिक पटेल से भी समर्थन पाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस के साथ इसके लिए पर्दे के पीछे और पर्दे के सामने दोनों तरह की बातचीत भी जारी है. लेकिन, राहुल गांधी के पिछले दौरे के वक्त अहमदाबाद के एक होटल में हार्दिक पटेल के साथ गुपचुप मुलाकात की खबर के सामने आने के बाद भी हार्दिक पटेल की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है।
आरक्षण से ज्यादा बीजेपी को हारने पर हार्दिक का जोर-
हालांकि हार्दिक पटेल ने राहुल गांधी के साथ किसी भी तरह की मुलाकात की खबर का खंडन किया है, लेकिन, सीसीटीवी फुटेज के सामने आने के बाद से ही हार्दिक पटेल के कांग्रेस प्रेम को लेकर चुनावी मौसम में चर्चा शुरू हो गई है।
इस मुलाकात के खुलासे ने हार्दिक की बीजेपी के खिलाफ अभियान को काफी हद तक कमजोर कर दिया था. चर्चा इस बात की होने लगी थी कि हार्दिक पटेल के एजेंडे में आरक्षण से ज्यादा चर्चा बीजेपी को मात देने में है।
हार्दिक पटेल का अल्टीमेटम कांग्रेस के प्लान में पलीता लगा सकता है. अब पाटीदारों के बड़े तबके के अलग होने के बाद हार्दिक पटेल की धार कमजोर हो सकती है, जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा।
अब जबकि राहुल गांधी गुजरात दौरे पर हैं तो इस दौरान हार्दिक पटेल के साथ उनकी मुलाकात की चर्चा फिर सुर्खियों में है. तीन नवंबर को जब राहुल गांधी सूरत में होंगे तो उस दौरान हार्दिक पटेल के साथ उनकी मुलाकात क्या होगी, यह सवाल गुजरात की सियासी फिजाओं में तैर रहा है. क्योंकि तीन नवंबर को ही हार्दिक पटेल की तरफ से आरक्षण पर रूख स्पष्ट करने के लिए कांग्रेस को दिए गए अल्टीमेटम की भी मियाद पूरी हो रही है।
Source- Firstpost.com