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अगर ये गद्दार ना होते तो शायद भारत आज भी सोने की चिड़िया होता?

भारत अपनी संस्कृति अपनी विविधिताओं के कारण विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। लेकिन भारत के इतिहास में गद्दारों का भी एक महत्पूर्ण स्थान रहा है। यह तो सभी जानते हैं की भारत एक समय सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था। हमारे देश को यूं ही सोने की चिड़िया नहीं कहते थे। हमारी उत्पत्ति से अंग्रेजों के समय तक हम वाकई सोने की चिड़िया से कम नहीं थे।

सिंधु घाटी सभ्यता की सभ्यता-

सिंधु घाटी सभ्यता में कई तकनीकें ऐसी मिली थी जो आज के अत्याधुनिक समय में भी किसी के पास नहीं है। सिंधु घाटी की सभ्यता के समय पानी के निकासी की व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि वैसी आज के आधुनिक युग में भी किसी देश के पास नहीं है।

भारत देश प्राचीन काल से ही कृषि प्रधान देश रहा है। भारत में कृषि, खनिज पदार्थों की भरमार थी जो यहां के लोगों के लिए सोना पैदा करती थी। लेकिन इन सबके बावजूद आज हमारी स्थिति पहले जैसी नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण भारत पर विदेशियों के कई बार आक्रमण। भारत पर कई बार आक्रमण हुए और आक्रमण करने वालों ने भारत को खूब लूटा।

आज हम आपको भारत के ऐसे गद्दारों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनों के साथ गद्दारी नहीं की होती तो आज भी भारत सोने की चिड़िया होता-

जयचंद-

सम्राट पृथ्वीराज चौहान देश के महान राजाओं में से एक हैं। उनके शासनकाल में मौहम्मद गौरी ने कई बार आक्रमण किए लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वहीं कन्नौज के राजा जयचंद पृथ्वीराज से अपनी बेइज्जती का बदला लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने मोहम्मद गौरी से हाथ मिलाकर उसे लड़ाई में मदद की। इसका परिणाम यह हुआ कि 1192 के तराईन के युद्ध में धोखे से मोहम्मद गौरी की जीत हुई। माना जाता है पृथ्वीराज चौहान की हार से ही भारत का काला अध्याय शुरू हो गया।

jaychand

मान सिंह-

महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की। अकबर ने लाख कोशिशों के बाद भी महाराणा प्रताप को हरा नहीं पाया। लेकिन मान सिंह जैसे गद्दार ने पद की खातिर खुद को मुगलों के हाथों बेच दिया, और अकबर की सेना में सेनापति बन गए। हल्दीघाटी के युद्ध में मान सिंह ने अकबर की सेना का नेतृत्व कर महाराणा प्रताप से युद्ध किया।

maan singh

मीर जाफर-

मीर जाफ़र १७५७ से १७६० तक बंगाल का नवाब था। शुरु में वह सिराजुद्दौला का सेनापति था। वह ऐसा आदमी था जो दिन रात एक ही सपना देखता था की वो कब बंगाल का नवाब बनेगा। वह प्लासी के युद्ध में रोबर्ट क्लाइव के साथ मिल गया क्योंकि रोबर्ट क्लाइव ने मीर जाफ़र को बंगाल का नवाब बनाने का लालच दे दिया था। इस घटना को भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना की शुरुआत माना जाता है और आगे चलकर मीर जाफ़र का नाम भारतीय उपमहाद्वीप में ‘देशद्रोही’ व ‘ग़द्दार’ का पर्रयायवाची बन गया।

mir jafar

मीर कासिम-

अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को हटाने के लिए मीर जाफर का इस्तेमाल किया और मीर जाफर हो हटाने के लिए मीर कासिम का। कासिम को गद्दी मिली तो लेकिन उसे ये अहसास हो गया था कि उसने बहुत बड़ी गलती कर दी है लेकिन तब तक उसने सब कुछ गवा दिया था।

mir qasim

मीर सादिक-

जब कोई अपना ही दुश्मन से मिल जाए तो हार निश्चित होती है। भारत के महान योद्धा टीपू सुलतान के साथ भी यही हुआ। उनका अपना खास मंत्री मीर सादिक ही अंग्रेजों से जा मिला। नतीजा यह हुआ कि 1779 के युद्ध में अग्रेजों ने उसे हरा दिया।

mir sadiq

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