नार्वे में एक स्थानीय सुन्नी मुस्लिम संगठन के लीडर ने एक टीवी बहस में हिस्सा लेने पहुंची देश की महिला केंद्रीय प्रवास मंत्री से हाथ मिलाने से साफ इंकार कर दिया।
दरअसल विवादित इस्लामिक नेट ऑर्गनाइजेशन के संस्थापक और लीडर फहाद कुरैशी टीवी बहस में हिस्सा लेने के लिए वीजीटीवी चैनल में पहुंचे तभी नार्वे की प्रवास और एकीकरण मंत्री सील्वी लिस्थग स्टूडियो में दाखिल हुईं और उन्होंने वहां मौजूद लोगों से हाथ मिलाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया सभी ने उनके साथ हाथ मिलाया लेकिन कुरैशी ने उनके हाथ में फूलों का गुलदस्ता पकड़ाकर हाथ मिलाने से इंकार कर दिया।
इस दौरान महिला मंत्री ने कई बार हाथ मिलाने की कोशिश की लेकिन इसके लिए उन्होंने साफ इंकार कर दिया। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब नार्वे में किसी महिला नेता को मुस्लिमों द्वारा इस तरह के व्यवहार का सामना करना पड़ा है। बता दें कि नार्वे के कुछ शहरों में कुरैशी की संस्था मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करती है, इसमें मुस्लिमों को इस्लाम की बढ़ाई करने और आपसी गलतफमियों को सुलझाने की शिक्षा दी जाती है।
यह बात आज पहली बार नही हो रही है , इससे पहले एक मुस्लिम दंपत्ति ने दूसरे धर्म के शख्स से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया था। बीते साल स्वीडन के एक स्कूल में एक महिला टीचर ने भी पुरुष टीचरों से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया था। हालांकि इस घटना का बाद मुस्लिम महिला को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। स्वीडन में ही एक अन्य मामले में नगर निगम में काम करने वाले मुस्लिम शख्स ने अपनी महिला कलीग से हाथ मिलाने से इंकार कर दिया था!
दरअसल इसका कारन इस्लाम में मौजूद कट्टरता है जिसके कारन अगर आप मौलवियों द्वारा बताई गयी किसी भी बात को मानने में कोई ढील देते हो तो आप गैर-इस्लामिक हो जाते हो यानि मुस्लिम नहीं रहते! रति-रटाई बातों और किताबी लकीरों पर चलने वाले ये लोग दूसरे समुदाय में भी अपने व्यव्हार से कटटरता भरते हैं!