बैसे तो पूरी दुनिया में एक से बढ़कर एक आलीशान महल हैं, जिनकी स्थापत्य कला, भव्यता और चकाचौंध देखने लायक है। लेकिन ऐसा ही एक महल भारत में है जो पूरी दुनिया में अपनी एक खास जगह रखता है। जिसे देखने के लिए हर साल सैकड़ो बिदेशी पर्यटक भारत आते है।
हम आपको बता रहे हैं कर्नाटक के मैसूर पैलेस के बारे में जो अपनी भव्यता के चलते पूरी दुनिया में अपनी एक खास जगह रखता है। कर्नाटक तमिलनाडु की सीमा पर बसा यह पैलेस विश्व के सबसे खूबसूरत महलों में से एक है।
मैसूर पैलेस का निर्माण महाराजा राजर्षि महामहिम कृष्णराजेंद्र वाडियार चतुर्थ द्वारा किया गया था। मैसूर पैलेस अब भारत में ताजमहल के बाद सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है और कम से कम 6 लाख आगंतुकों का यहाँ पर सालाना आना होता है।
मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। इस तीन तल्ले महल के निर्माण में निर्माण के लिए भूरे ग्रेनाइट, जिसमें तीन गुलाबी संगमरमर के गुंबद होते हैं, का सहारा लिया गया है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है। त्योहारों और विशेष रूप से दशहरे पर इसे रंगीन लाइटों से सजाया जाता है।
यह महल विश्व के सर्वाधिक घूमे जाने वाले स्थलों में से एक है। इसका प्रमाण इस बात से भी मिलता है कि न्यूयॉर्क टाइम्स ने इसे विश्व के 31 अवश्य घूमे जाने वाले स्थानों में रखा है। आप इस महल में गोंबे थोटी या डॉल्स पवेलियन से प्रवेश कर सकते हैं। इस प्रवेश द्वार पर 19वीं और 20वीं शताब्दी की बनी गुड़ियों का एक समूह रखा गया है।
यह स्लेटी पत्थरों और गुलाबी रंग की गुंबदों से सजा है। यह जितना खूबसूरत बाहर से दिखाई देता है उतनी ही इसकी रौनक अंदर से दिखाई देती है।
इस महल के अंदर कई कमरे हैं। जिसमें प्रवेश करते ही आपकी आंखों में इतिहास उतरेगा। राजसी हथियारों को देखकर एक पूरा समय आपकी नजरों के सामने होगा। राजसी पोशाकें, आभूषण, तुन (महोगनी) की लकड़ी की बारीक नक्काशी वाले बड़े-बड़े दरवाजे और छतों में लगे झाड़-फानूस महल की शोभा में चार चांद इस महल की भव्यता को और बढ़ाते हैं।
इसके अलावा यहां एक लकड़ी का बना हाथी हौदा है, जिसे 81 किलो सोने से सजाया गया है। गोंबे थोटी के सामने दशहरा के मौके पर समारोह का समापन किया जाता है और 200 किलो के मुकुट को आम लोगों के लिए प्रदर्शित किया जाता है।
विशेष रूप से दशहरा में इस महल को तकरीबन 97,000 बल्बों से शानदार तरीके से सजाया जाता है।