कलकत्ता हाई कोर्ट के मुहर्रम के दिन ही दुर्गा प्रतिमा विसर्जन कराने वाले फैसले पर ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए बेहद सख्त बयान दिया है। ममता बनर्जी ने कहा, कि कोई मेरा गला काट सकता है, लेकिन मुझे यह नहीं बता सकता है कि मुझे क्या करना चाहिए।
Someone can slit my throat but no one can tell me what to do: WB CM Mamata Banerjee on Calcutta HC’s verdict on Durga idols’ immersion pic.twitter.com/162ZXvn9RB
— ANI (@ANI) September 21, 2017
बता दें कलकत्ता हाईकोर्ट ने मूर्ति विसर्जन और मोहर्रम जुलूस को लेकर ममता सरकार के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे मनमाने आदेश नहीं दिए जा सकते हैं। इससे पहले ममता बनर्जी ने दक्षिण कोलकाता के पॉम एवेन्यू में एक पूजा पंडाल में अपने भाषण में विरोधियों पर जमकर हमला बोला।
पढ़ें: HC ने दिया ममता सरकार को झटका, मुहर्रम के दिन मूर्ति विसर्जन से रोक हटाई
गौरतलब है कि बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन की तारीख मुहर्रम के बाद रखे जाने के मामले में ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की थी। कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि आप दो समुदायों के बीच बंटवारा क्यों कर रहे हैं?
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों की आस्था में दखल नहीं दे सकती है, बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है. हाईकोर्ट ने कहा बैन लगाना सबसे आखिरी विकल्प है. आखिरी विकल्प का इस्तेमाल पहले क्यों, सरकार को सभी समुदाय के लोगों के हितों का ध्यान रखना चाहिए।
पढ़ें: मौलाना ने दी चेतावनी कहा, रोहिंग्या हमारे भाई, हम 72 भी लाखों को मार सकते हैं
आपको बता दें कि बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाते रहते हैं. ये मामला तब और बढ़ गया जब ममता सरकार ने 30 सितंबर को मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी क्यों कि इस दिन मुहर्रम भी है। कई लोग इसे मूल अधिकारों का उल्लंघन कह रहे हैं और अब ये मामला कोर्ट में है।
कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बीजेपी ममता के लिए बड़ा झटका मान रही है। पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और प्रवक्ता संबित पात्रा ने ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा है। साथ ही कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. मामले में विजयवर्गीय का कहना है कि यह हमारे लिए हो या ना हो, लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं के मुंह पर तमाचा है. न्यायपालिका ने साफतौर से कहा है कि कानून व्यवस्था आप को मेंटेन करना है। इसका मतलब यह सरकार कानून व्यवस्था मेंटेन करने में फेल है।