पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार को बड़ा झटका देते हुए मूर्ति विसर्जन पर राज्य सरकार का फैसला पलट दिया था। कोर्ट के इस फैसले से नाखुश ममता बनर्जी ने एक इमर्जेंसी मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में सभी सीनियर अफसर-चीफ सेक्रटरी मलय रॉय, होम सेक्रटरी अत्री भट्टाचार्य, डीजीपी सुरजीत पुरकायस्थ, कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के अलावा सभी एसपी और मंत्री शामिल होंगे। ममता ने कोर्ट के आदेश के बाद ताजा हालात की समीक्षा करने के मकसद से ये मीटिंग बुलाई है।
बता दें कि ममता बनर्जी ने गुरुवार को कई स्थानों पर दुर्गा पूजा कार्यक्रम का उद्घाटन भी किया। ममता ने कोर्ट के आदेश पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की। लेकिन ये जरूर कहा कि मूर्तियां कब विसर्जित करनी हैं, इस मामले में आखिरी फैसला लोगों का ही होगा। ममता ने कहा लोकतंत्र में सबसे ऊपर जनता है, इसलिए जनता का फैसला सबसे बड़ा होता है।
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ममता ने कहा कुछ लोग त्योहार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। वे शांति भंग की कोशिश कर रहे हैं।’ ममता ने सीधे तौर पर उन लोगों को निशाने पर लिया जिन्होंने राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालांकि, ममता ने खुद को सिर्फ दलीलों तक सीमित नहीं किया। ममता ने जनभावनाओं का ध्यान रखते हुए बिना देखे चंडी पाठ किया। बिना देखे चंडी पाठ करने का मकसद दक्षिणपंथी संगठनों को यह दिखाना था कि वह किसी से कम हिंदू नहीं हैं। ममता को लगता है कि ऐसे संगठन बंगाली लोगों के दिमाग में उनकी ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ करने वाली की छवि बना रहे हैं।
ममता हाई कोर्ट के आदेश का राजनीतिक फायदा उठाए जाने का आरोप लगाते हुए आहत नजर आईं। ममता ने कहा अगर मैं मुस्लिमों के कार्यक्रम में जाती हूं तो लोग इसे मुस्लिम तुष्टिकरण से जोड़ देते हैं। जब मैं छठ पूजा या बुद्ध पूर्णिमा में शामिल होती हूं तो कोई पूछता है कि मैं किसका तुष्टिकरण कर रही हूं? जब मैं मंदिरों में जाती हूं या क्रिसमस के वक्त मध्यरात्रि में कार्यक्रम में मौजूद रहती हूं तो क्या किसी ने मुझ पर तुष्टिकरण करने का आरोप लगाया?’
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ममता ने आगे कहा, मैं कुछ सिद्धांतों के साथ पली-बढ़ी हूं। और मैं उन्हें बदलना नहीं चाहती, अगर कोई मेरी गर्दन भी काट दें और ऐसा करने के लिए कहें तब भी मैं वही करूंगी जो मुझे अच्छा लगेगा। मैं सांप्रदायिक सौहार्द के प्रति प्रतिबद्ध हूं और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखना मेरी जिम्मेदारी है।
क्या ममता तुष्टिकरण कर रही हैं?
एक नजर डालते है ममता के कुछ फैसलों पर…
1. मुहर्रम की वजह से दुर्गा विसर्जन एक दिन टालने का आदेश।
2. 8 माह में दो बार कोलकाता में संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम को मंजूरी नहीं देना।
3. 24 परगना के बशीरहाट और बदुरिया में लंबे वक्त तक सांप्रदायिक हिंसा।
4. कई शहरों में रह रहकर सांप्रदायिक तनाव की रिपोर्ट।
5. तीर, तलवार जैसे आक्रामक सिंबल वाले तमाम जुलूसों पर पाबंदी।
6. ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक पर फैसले के मुद्दे पर अभी तक मुंह नहीं खोला है. वो कट्टरपंथी मुस्लिमों को नाराज नहीं करना चाहतीं।
7. रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों का समर्थन करना। पश्चिम बंगाल के मुस्लिम संगठनों ने भी रोहिंग्या मुस्लिम के पक्ष में रैलियां की।
इन सबके बाद भी ममता बनर्जी अपने रुख पर कायम हैं। उनके मुताबिक अगर यह तुष्टिकरण हैं तो जब तक जान है वो यह करती रहेंगी। ‘अगर मेरे सिर पर बंदूक रख दी जाए तब भी मैं यह करूंगी।