12 मार्च, 1993 को दोपहर के बाद मुंबई के कई इलाकों में एक के एक बाद एक 13 सीरियल बम धमाके हुए। इन सीरियल धमाकों में 257 लोग मारे गए और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
देश के इतिहास में पहली बार इस तरह के सीरियल बम ब्लास्ट हुए। इन धमाकों के लिए आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था। इन सीरियल बम धमाकों से मुंबई में तबाही मचाने के लिए तीन हजार किलो से भी ज्यादा आरडीएक्स समुद्र के किनारे उतारा गया था, जबकि इनमें से सिर्फ 10 फीसदी ही इस्तेमाल हुआ था। अब 24 साल बाद एक अहम फैसले में मुंबई की विशेष टाडा कोर्ट ने अबू सलेम समेत छह दोषियों को सजा सुनाई है।
मुंबई की स्पेशल टाडा कोर्ट ने अबू सलेम और करीमउल्ला शेख को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन पर 2-2 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। सलेम पर 100 ग्रेनेड मुंबई लाने का जुर्म साबित हुआ।
इस केस में 16 जून को कोर्ट ने अबू सलेम, करीमउल्ला शेख, रियाज शेख, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेंट और मुस्तफा दौसा को दोषी करार दिया था। इनमें से मुस्तफा दौसा की 28 जून को हार्टअटैक से मौत हो गई थी। जब कि कोर्ट ने अब्दुल कय्यूम को बरी कर दिया था।
2006 में इस केस में पहला फैसला आया था। उस वक्त टाडा कोर्ट ने 123 आरोपियों में 100 को सजा सुनाई थी, 23 लोगों को बरी कर दिया था। याकूब मेमन को इसी फैसले में सजा सुनाने के बाद 30 जुलाई 2015 को महाराष्ट्र की यरवडा जेल में फांसी दी गई थी।
अबू सलेम, करीमउल्ला शेख, रियाज शेख, फिरोज अब्दुल राशिद खान, ताहिर मर्चेंट, अब्दुल कय्यूम और मुस्तफा दौसा को 2002 के बाद प्रत्यर्पण करके भारत लाया गया था। ऐसे में कोर्ट का मानना था कि इन पर सुनवाई साथ में की गई तो फैसले में देरी होगी। इसलिए इनकी सुनवाई अलग से हुई।
बम व्लास्ट में अबू सलेम की भूमिका-
अबू सलेम जनवरी 1993 में गुजरात के भरूच गया था। उसके साथ दाऊद गैंग का एक गुर्गा भी था। इन्हें हथियार, एक्सप्लोसिव्स और गोला-बारूद लाने के लिए भेजा गया था। सलेम को वहां 9 एके-56, 100 हैंड ग्रेनेड और गोलियां दी गईं। सलेम एक मारुति वैन में यह सामान छुपाकर मुंबई लाया था। वैन रियाज सिद्दीकी ने मुहैया कराई थी। यह वैन संजय दत्त के घर पर गई थी। बाद में ये हथियार वहां से उठा लिए थे।
आखिर क्यों नहीं हुई अबू सलेम को फांसी-
कोर्ट ने अबू सलेम को उम्रकैद की सजा और दो लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश दिया है। माना जा रहा था कि 13 सीरियल बम धमाकों के आरोपी अबू सलेम को फांसी की सजा दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फांसी की सजा क्यों नहीं दी गयी, आखिर क्या है इसके पीछे का कारण सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने बताया….
उज्ज्वल निकम ने बताया कि अबू सलेम की सजा को लेकर भारत और पुर्तगाल की सरकार को तय करना है क्योंकि पुर्तगाल के कानून के अनुसार उम्रकैद का मतलब 25 साल होता है. ऐसे में वर्तमान स्थिति को देखते हुए अबू सलेम को 13 साल जेल में काटने होंगे क्योंकि वह 12 साल की सजा काट चुका है।
उज्ज्वल निकम साल 2005 में सलेम के भारत प्रत्यर्पण के समय तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लिखित तौर पर पुर्तगाल सरकार और कोर्ट को यह आश्वासन दिया था कि वो सलेम को 25 साल से अधिक जेल में नहीं रखेंगे। भारत सरकार की तरफ से पुर्तगाल को यह आश्वासन दिया गया था कि उसे मौत की सजा भी नहीं दी जाएगी। यही कारण है कि अबू सलेम को फांसी की सजा ना देकर सिर्फ उम्र कैद की सजा सुनाई गयी।