भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने एक बार फिर दो फ्रंट पर युद्ध की संभावना के लिए देश को सतर्क किया है. चीन से पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा तनावपूर्ण स्थिति के समाप्त होने के एक हफ्ते के बाद उन्होंने चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि उत्तर में चीन और पश्चिम में पाकिस्तान से लड़ाई की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
उत्तर की स्थिति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी ताकत दिखाना शुरू किया है. ‘सलामी स्लाइसिंग ‘, यानी धीरे-धीरे भूभाग पर कब्जे के लिए आगे बढ़ना, और दूसरे की सहनशक्ति को परखना, चिंता का विषय है. हमें इस प्रकार की धीरे धीरे उभरती स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए. सेना प्रमुख ने चीन के संबंध में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि उत्तर की स्थिति के चलते पश्चिम से पाकिस्तान भी मौके का फायदा उठाना चाहेगा. उन्होंने चीन और पाकिस्तान की नजदीकी को लेकर भी चेताया. यह पहली बार नहीं है जब चीन और पाकिस्तान को लेकर सेना प्रमुख ने इस प्रकार से दो फ्रंट पर युद्ध वाला बयान दिया है. यह दर्शाता है कि भारत सेना चीन के साथ पनपी स्थिति को लेकर कितनी संवेदनशील है.
हाल ही भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने सीमा पर विवादों को शांतिप्रिय ढंग से सुलझाने के लिए और प्रयासों पर बल दिया था. शी चिनफिंग ने कहा कि दोनों देशों के लिए यह जरूरी है कि हम सही रास्तों पर चलें. चीन जिस तरह से अपना विस्तार कर रहा है, उसके मुकाबले भारत की तैयारी क्या है?
अगर चीन और भारत के बीच युद्ध हुआ तो अमरीका और जापान किस हद तक भारत को मदद करेंगे? अगर अमरीका ने भारत का साथ दिया तो क्या दोनों देशों के बीच युद्ध का संभावित परिणाम मूल रूप से कुछ और होगा?
इन सारे सवालों पर भारत ही नहीं बल्कि चीनी मीडिया में भी काफ़ी माथापच्ची चल रही है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा है कि भारत सच को स्वीकार कर ले कि वो चीन जीत नहीं सकता.
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चीन का विस्तार चौतरफ़ा हो रहा है. इस विस्तार को कई मोर्चों पर चीन अंजाम दे रहा है. चीन ख़ुद का विस्तार रोड, रेल, आर्थिक शक्ति और तकनीकी विकास के माध्यम से कर रहा है. इसके साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में चीन बड़ी नौसैनिक शक्ति के रूप में उभर रहा है.