डोकलाम विवाद में भारत के सामने घुटने टेकने के बाद चीन अब भारत के सामने नई मुसीबत पैदा करने पर आमादा है। दरअसल ब्रह्मपुत्र को लेकर चीन ने नया प्लान तैयार किया है। चीनी इंजीनियरों ने ब्रह्मपुत्र का पानी डायवर्ट करने के लिए 1000 किलो मीटर लंबी टनल बनाने की योजना तैयार की है। इस टनल के जरिए ब्रह्मपुत्र का पानी तिब्बत से जिनजियांग की तरफ मोड़ने की योजना है।
बताया जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होगी। हालांकि इस प्रॉजेक्ट पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है, लेकिन चीन में इसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इसके लिए बाकायदा ‘रिहर्सल’ भी शुरू कर दिया गया है। अगर चीनी इंजीनियरों का यह प्लान मंजूर कर लिया जाता है तो यह भारत और बांग्लादेश दोनों को प्रभावित करेगा।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल चीन इस लंबी सुरंग को बनाने की क्षमता के परीक्षण के लिए एक छोटी सुरंग के प्रॉजेक्ट पर काम रह रहा है। चीन ने अगस्त में युन्नान प्रांत के मध्य में इस सुरंग का निर्माण शुरू किया है जो 600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी होगी।
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रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के इंजिनियर इस सुरंग के निर्माण के जरिए उन तकनीकों का परीक्षण कर रहे हैं जिनके जरिए यारलुंग जांग्बो का पानी तिब्बत से शिनजियांग तक ले जाया जाएगा। बता दें कि ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से शुरू होती है और चीन में इसे यारलुंग जांग्बो कहा जाता है। यह सुरंग तिब्बत के पठार से नीचे की ओर कई जगहों पर जाएगी जो वॉटरफॉल्स से जुड़ी होंगी।
चीनी सरकार अगर इस टनल निर्माण को मंजूरी दे देती है तो भारत और बांग्लादेश पर इसका व्यापक असर होने की आशंका जताई जा रही है। भारत इससे पहले 2010 में तिब्बत के जैंग्मू में बनाए गए बांध पर भी चिंता जाहिर कर चुका है। बावजूद इसके चीन जैंग्मू बांध के बाद तीन और डैम को ग्रीन सिग्नल दे चुका है. हालांकि, जिस नए प्रोजेक्ट का रोडमैप चीनी इंजीनियरों ने अपनी सरकार को सौंपा है, अगर वह बन जाता है तो भारत के लिए ज्यादा खतरा पैदा हो सकता है।
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टनल निर्माण की ड्राफ्टिंग कमेटी में शामिल रहे वांग वी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में एक किलोमीटर पर एक बिलियन युआन का खर्च आएगा. यानी पूरे टनल को बनाने में कुल 1 ट्रिलियन युआन खर्च होगा, जो कि चीन के मशहूर तीन जॉर्जेस बांध की लागत के बराबर होगा।
गौरतलब है कि तिब्बत के पठार में चीन के प्रॉजेक्ट्स की वजह से नदी का प्रवाह प्रभावित होने को लेकर भारत पहले से चिंतित है। ब्रह्मपुत्र को डायवर्ट करने की बात पर चीन के कभी सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं की है, क्योंकि इससे भारत के उत्तरपूर्वी हिस्से और बांग्लादेश में या तो भयंकर बाढ़ आएगी या पानी का प्रवाह बहुत कम हो जाएगा। 2013 में भारत ने ब्रह्मपुत्र पर चीन के हाइड्रो प्रॉजेक्ट्स को लेकर अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई थी।