यूपीए कार्यकाल में अरविन्द केजरीवाल द्वारा यूपीए सरकार के 15 सबसे भ्रष्ट मंत्रियों में शुमार किए गए पी चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट अब उनके लिए पैरवी करेंगे। केजरीवाल सरकार ने उन्हें उपराज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक मुखिया बताने वाले हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिकाओं की सुनवाई के लिए नियुक्त किया है।
पी चिदंबरम उन नौ वकीलों में से एक होंगे, जो पांच जजों वाली संविधान पीठ के समक्ष दिल्ली सरकार का पक्ष रखेंगे। केजरीवाल सरकार के इस फैसले के बाद राजनीतिक घमासान शुरु हो गया है।
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कोंग्रेसी नेता अजय माकन ने ट्वीट किया कि अरविन्द केजरीवाल आखिर चिदंबरम के पैरों में गिर ही पड़े। वही बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा-इससे साबित हो गया कि आप, कांग्रेस की ही बी टीम है।
गौरतलब है केंद्र में पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के दौरान अरविन्द केजरीवाल के निशाने पर पी.चिदंबरम हमेशा रहे। अरविंद केजरीवाल ने 5 जुलाई 2012 को सोशल मीडिया पर ट्वीट किया था, ‘चिदंबरम 15 भ्रष्ट मंत्रियों में से एक हैं’।
इसी तरह दिल्ली सरकार के मौजूदा प्रवक्ता नागेंद्र शर्मा ने तीन साल पहले 25 नवंबर 2014 को ट्वीट किया था, ‘दिल्ली के बेचारे कांग्रेसी नेता बिजली कंपनी बीएसईएस खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनके वरिष्ठ नेता चिदंबरम और कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में बिजली कंपनी के पक्ष में मुकदमा लड़ रहे हैं।’
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पूर्व राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एक ट्वीट में कहा, “चिदंबरम जी को सबसे भ्रष्ट और जनविरोधी बताने के बाद बेशर्म आप उनकी सेवाएं हासिल करना चाहते है… क्या केजरीवाल उन्हें केस के बारे में जानकारी देने गए थे…?” वहीँ पूर्व कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित ने कहा है कि पी चिदंबरम पेशेवर व्यक्ति हैं, जो उनके पास अाएगा, वो तो क्लाइंट है।
(भाषा से इनपुट के साथ)