गुजरात में चुनावी घमासान के बीच एक मस्जिद चर्चा का विषय बन गयी है। बताया जा रहा है एक मस्जिद जो कि तीस साल से वीरान पड़ी हुई थी वहां कोई नमाज नहीं होती थी लेकिन तथाकथित सेक्युलर हिन्दुओं के कारण अब वहां नमाज होने लगी है और उस मस्जिद को हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल बताया जा रहा है।
बताया जा रहा है बाबरी मस्जिद विध्वंस और गोधरा दंगों के बाद हिन्दुओ की आबादी से घिरी इस मस्जिद से लोगों ने किनारा कर लिया था, लेकिन मंदिरों के बीच स्थित इस मस्जिद में एक बार फिर अज़ान की आवाज सुनाई देने लगी है, और ये सब मस्जिद के आसपास रहने वाले हिंदुओं के सहयोग से हुआ है।
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बता दें अहमदाबाद के कालूपुर इलाके में मंदिरों के बीच बनी इस मस्जिद फिर से नमाज़ अदा की जा रही है। अज़ान की आवाज़ अब हर ओर गूंज रही हैं। बेखौफ नमाज़ी पांचों वक्त की नमाज़ पढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि ये मस्जिद हिन्दू आबादी और मंदिरों से घिरी है। इस मस्जिद को लगभग 100 साल पुरानी बताया जा रहा है। इस मस्जिद में 84 के दंगे के बाद नमाज़ी कम हो हुए, फिर बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद पूरी तरह नमाज बंद हो गयी थी। गोधरा दंगों के बाद तो इस मस्जिद में मुस्लिमों ने आना ही छोड़ दिया था। लेकिन, हिंदुओं की मदद से ये मस्जिद एक बार फिर गुलज़ार हो गई है।
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कालूपुरा के बकरी पोल इलाके में मस्जिद के चारों तरफ मंदिर हैं। रामजी मंदिर, इस मस्जिद से सटा हुआ है। थोड़ी दूर चौराहे पर हनुमान मंदिर है, जबकि सामने की गली में शेष नारायण मंदिर है। मस्जिद की पिछली गली में स्वामीनारायण मंदिर और सामने महादेव मंदिर भी है।