पश्चिम बंगाल के हावड़ा से लापता हुई किशोरी की तलाश में निकली पुलिस ने गाजियाबाद से मेरठ तक फैले मानव तस्करी और देह व्यापार के काले कारोबार का खुलासा किया है। किशोरी का पैकेज में सौदा किया गया था और उसे बंगाल से NCR के बीच में कई बार बेचा गया।
पश्चिम बंगाल की पुलिस ने सिहानी गेट थाना और एसएसपी द्वारा गठित अल्फा टीम की मदद से मंगलवार को नंदग्राम से गिरोह के सात लोगों को गिरफ्तार कर इनके चंगुल से दो लड़कियों को मुक्त कराया। इनमें लापता किशोरी और झारखंड की एक युवती है। तीन आरोपी पहले ही बंगाल से गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
दोनों राज्यों की पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए नंदग्राम से आरोपियों को धर दबोचा। इनमें चार महिलाएं और 3 पुरुष हैं। इनकी पहचान भारती शर्मा, सोनिया, संतो, रुचि, राकेश, मुकेश और रवेंद्र के रूप में हुई है। सीओ सेकंड आतिश सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर आरोपियों को अपने साथ ले जाएगी।
एक मिस्ड कॉल और तबाह हो गई जिंदगी-
गिरोह के कब्जे से छुड़ाई गई हावड़ा की रहनेवाली 17 वर्षीय किशोरी ने बताया कि मिस्ड कॉल के जरिए उसकी पहचान अशरफुल नामक शख्स से हुई थी। दोनों में बातें होने लगीं। अशरफुल मूल रूप से तमिलनाडु का रहने वाला है। उसने खुद को बहुत अमीर बताया था। पीड़िता उसके झांसे में आ गई और 4 अप्रैल को उसके साथ फरार हो गई। इस बारे में हावड़ा के उलेबेरिया थाने में केस दर्ज है।
किशोरी का कहना है कि अशरफुल ने उसे अपने बाबू नाम के दोस्त के पास छोड़ा था। दो दिन बाद बाबू उसे दिल्ली में शादी कराने का झांसा देकर गाजियाबाद पहुंचा था। बंगाल पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में सामने आया है कि बाबू ने 30 हजार रुपये में सोनिया के साथ किशोरी का सौदा किया था। अगले ही दिन उसे 70 हजार रुपये में मेरठ में बेच दिया गया। इसके बाद गाजियाबाद में एक बार फिर 30 हजार रुपये में उसे बेचा गया।
इस पूरी खरीद-फरोख्त में भारती शर्मा, सोनिया और उसका पति राकेश प्रमुख रूप से शामिल थे। किशोरी को एक पैकेज के रूप में कई लोगों को दिया गया। इन लोगों ने मेरठ से गाजियाबाद के बीच उससे देह व्यापार कराया। पीड़िता कुछ दिन मेरठ में रखी जाती तो कुछ दिन गाजियाबाद। विरोध करने पर मारपीट की जाती थी। बाबू, उसकी पत्नी और अशरफुल पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।
बंगाल और नॉर्थ ईस्ट से आ रही थीं लड़कियां-
पुलिस ने बताया कि गैंग के एजेंट पश्चिम बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से लड़कियों की तस्करी कर यहां लाते थे। गाजियाबाद से मेरठ के बीच फैले देह व्यापार के दलाल इन लड़कियों को 20 से 40 हजार रुपये में खरीदते थे। इनका एक नहीं कई बार सौदा होता। हर बार बोली बढ़ती जाती और पांच लाख रुपये तक पहुंच जाती थी।
एक पीड़िता ने बताया कि उसके अलावा वहां कई अन्य लड़कियां भी थीं। हर लड़की के साथ रोजाना 5-6 पुरुषों को भेजा जाता था। उनसे मिलने वाले रुपये गैंग के लोग रख लेते थे। पश्चिम बंगाल पुलिस ने बताया कि छापेमारी में कुछ और लड़कियां भी मिली थीं, लेकिन उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। ऐसे में उन्हें केस में शामिल नहीं किया गया है।
सीओ सेकंड आतिश सिंह ने बताया कि पश्चिम बंगाल में अशरफुल और बाबू की गिरफ्तारी के बाद वहां की एक टीम गाजियाबाद आई थी। यहां से जानकारी मिली कि गैंग के सदस्य मेरठ में छिपे हैं। हालांकि आरोपियों को पुलिस कार्रवाई की पहले ही जानकारी मिल चुकी थी। वे लोग नंदग्राम में छिप गए थे। गाजियाबाद पुलिस की मदद से पश्चिम बंगाल पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।