पिछले साल म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या चरमपंथियों ने संघर्ष के दौरान हिन्दु गांवों पर हमला कर वहां हिन्दुओं का बड़े स्तर पर नरसंहार किया था जिसमे महिलाओं और बच्चों सहित 100 से ज्यादा हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था।
ये खुलासा मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की तरफ से बुधवार को जारी रिपोर्ट में किया गया।
मानवाधिकार संस्था की रिपोर्ट में बताया गया कि, अराकान रोहिंग्या सैलवेशन आर्मी (ARSA) के लड़ाकों ने 2017 के मध्य में सुरक्षा बलों पर दर्जनों हमले किए. उसी दौरान आरसा चरमपंथियों ने कई लोगों की हत्या और अपहरण भी किए थे।
यह भी पढ़ें: रोहिंग्या आतंकियों ने 28 हिंदुओं को मार कर सामूहिक कब्र में दफनाया, लाशें बरामद – म्यांमार सेना ने किया दावा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की क्राइसिस रिस्पॉन्स डायरेक्टर तराना हसन कहती हैं, आरसा चरमपंथियों की हिंसा को अनदेखा नहीं किया जा सकता. इसने कई पीड़ितों पर बहुत बुरा प्रभाव डाला है. रिपोर्ट के मुताबिक, यह हत्याएं 25 अगस्त, 2017 को की गई थी।
यही वह दिन था जब रोहिंग्या चरमपंथियों ने रखाइन में कई थानों पर सिलसिलेवार हमले किए थे. इसके बाद म्यांमार सेना ने वहां बड़ी सख्ती से दमनकारी अभियान चलाया था, जिस कारण वहां से करीब सात लाख रोहिंग्या मुस्लिमों को पलायन करना पड़ा था।
म्यांमार में हिंसा के चलते भागने वाले करीब 700,000 रोहिंग्या मुस्लिमों में से अधिकतर बांग्लादेश में बड़े शिविरों में रह रहे हैं. हालांकि उनमें से कुछ दोनों देशों के बीच स्थित इस क्षेत्र में रहने पर अड़े हुए हैं।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा है कि बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में शरण लिए करीब डेढ़ से दो लाख रोहिंग्या शरणार्थियों पर मानसून के दौरान बाढ़ और भूस्खलन का खतरा है. उन्होंने बताया कि इस महीने की शुरुआत में आए तूफान या भूस्खलन के कारण 7,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी प्रभावित हुए हैं।