20 मार्च को सेना के एक ऑपरेशन के दौरान जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में पकड़े गए आतंकी जैबुल्लाह ने पूछताछ में जमात-उद-दावा के बारे में कई अहम जानकारियां दी हैं। उसने बताया कि कैसे मुंबई हमलों का आंतकी हाफिज सईद और जकी-उर-रहमान लखवी सीधे-सादे लड़कों को उनके विश्वास के आधार पर भर्ती करते हैं।
इसके बाद जमात-उद-दावा (जेयूडी) उन्हें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए तैयार करता है। एनआईए ने जिस आतंकी को पकड़ा है उसका नाम जैबुल्लाह उर्फ हमजा है। उसे 20 मार्च को कुपवाड़ा में आतंक-विरोधी ऑपरेशन के तहत गिरफ्तार किया गया था। उसने बताया कि सात स्तरीय समूह नए भर्ती किए गए लड़कों की दो सालों तक होने वाली ट्रेनिंग पर नजर रखते हैं। जिसमें क्षेत्रीय केंद्र मुद्रिके, खैबर पख्तूनख्वां के जंगल और मुजफ्फाराबाद का पर्वतीय क्षेत्र शामिल है।
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नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी (एनआईए) द्वारा की जा रही पूछताछ में जैबुल्लाह ने बताया, ‘यह एक खुला निमंत्रण होता है। जमात के नेता 15-20 साल के पाकिस्तानी युवाओं को ‘जिहाद’ का हिस्सा बनने और खुद का बलिदान देने के लिए बुलाते हैं। उनका नाम, पता और फोन नंबर ले लिया जाता है। सात स्तर के वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर हाफिज सईद खुद है, लेकिन वहां उसका नाम आमिर साहब या आमिरे-मसगर है। हाफिज के नीचे जोनल, डिस्ट्रिक्ट, तहसील, टाउन और सेक्टर लेवल पर भर्ती करने वाले मौजूद हैं। इसमें ट्रेनिंग देने वालो को मसूल और सबसे निचले लेवल वालों को काकरून कहा जाता है।’
जैबुल्लाह के मुताबिक, नए लड़ाकों के लिए मसूल मदरसों के बच्चों को चुनते हैं और उन्हें लाहौर के मुरिदके में स्थित सेंटर पर लाते हैं। जैबुल्लाह को उसके पिता ही ले गए थे, जोकि मुल्तान में एक मसूल के रूप में काम कर रहे थे। उसने छह ट्रेनिंग लोकेशंस के बारे में जानकारी शेयर की और बताया कि इन सेंटर्स को मसकर कहा जाता है। ये सेंटर्स हैं- मनशेरा में तारूक (दो महीने), डैकेन (पांच महीने), अंबोरे (दो महीने), अक्सा (दो महीने), खैबर (दो महीने) और मुरिदके। जैबुल्लाह ने यह भी बताया कि हर सेंटर पर पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई के लोग मदद के लिए मौजूद रहते हैं।
इन मॉड्यूल्स के पूरा हो जाने के बाद हाफिज सईद और लखवी सामने आते हैं। जैबुल्लाह की ट्रेनिग के दौरान, जनवरी में हो रही दूसरे चरण की ट्रेनिंग के कैंप डैकेन में लखवी आया था। अंबोरे ट्रेनिंग कैंप में हाफिज सईद भी आया और लड़ाकों को गले लगाकर भारत के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया।
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जैबुल्लाह ने बताया कि इन लोगों को मुजफ्फराबाद के कराची फूड सेंटर भेजा गया और वहां से राशन लाने को कहा गया। यहीं पर इन लोगों को यह भी सिखाया गया कि बर्फीले इलाकों में कैसे रहना है। उसने यह भी बताया कि लश्कर के स्टूडेंट विंग अल मोहम्मदिया के स्टूडेंट्स ने एक ऐसा मोबाइल बनाया है, जिसमें एक चिप डालकर वे आपस मे बातचीत करते हैं। अगर सुरक्षाबल इस फोन को इंटसेप्ट करते हैं तो कनेक्शन अपने आप कट भी जाता है।
जैबुल्लाह को खुद उसके पिता ने चुना था जोकि मुल्तान में मसूल का काम करता है। उसने 6 ट्रेनिंग स्थानों की सूचना दी है जिन्हें मस्कर कहा जाता है। मुद्रिके में उन्हें युद्ध प्रशिक्षण, मनसेहरा के ताबूक में हथियारों का प्रशिक्षण, अक्सा मसर कैंप में जीपीएस सिस्टम, नक्शा पढ़ने की ट्रेनिंग, कराची के फूड सेंटर में राशन बनाना, दैकन में दीवारों पर पढ़ाई करना, मस्कर खैबर में फिदायीन और आत्मघाती ट्रेनिंग, खालिद बिन वलीद कैंप में कपड़े और बारूद का काम सिखाया जाता है। हर समय आईएसआई का या सेना का अधिकारी लड़ाकों की मदद के लिए मौजूद होता है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सईद और लखवी नए आतंकियों से मुलाकात करते हैं।