बहुचर्चित निर्भया गैंगरेप और मर्डर के दोषियों की रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ के सामने 29 साल के मुकेश, 22 वर्षीय पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसे खारिज करते हुए बेंच ने उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है।
2012 Delhi gang-rape case: Supreme Court dismisses review pleas filed by 3 of the 4 convicts seeking reduction of their death sentence to a life term, upholds its earlier order of death sentence. pic.twitter.com/0OfFO8qIWo
— ANI (@ANI) July 9, 2018
बता दें कि पिछले साल 5 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इन चारों को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके बाद इन दोषियों ने रिव्यू पिटिशन दाखिल की।
यह भी पढ़ें: कानपुर में महिला से हैवानियत: गैंगरेप के बाद निजी अंगों में डाली लकड़ी
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत द्वारा 23 वर्षीय पैरामेडिक छात्रा से 16 दिसंबर 2012 को गैंगरेप और मर्डर के मामले में उन्हें सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।
We knew that review petition will be dismissed. But what next? So much time has gone by & threat to women have gone up in this span. I believe sooner they’re hanged, better it is: Badrinath Singh,father of 2012 Delhi gang-rape victim on SC’s dismissal of 3 accused review petition pic.twitter.com/75xWcRmVOA
— ANI (@ANI) July 9, 2018
आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. वहीं आरोपियों में एक किशोर भी शामिल था. उसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया. उसे तीन साल सुधार गृह में रखे जाने के बाद रिहा कर दिया गया।
यह भी पढ़ें: स्कूल के प्राचार्य और 2 शिक्षक 15 छात्रों के साथ मिलकर 7 महीने से कर रहे थे छात्रा से गैंगरेप
सुप्रीम कोर्ट के बाद अब इन चारों के पास क्यूरेटिव पिटिशन और फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प बचता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले निर्भया के माता-पिता ने बताया, ‘निर्भया देश की बेटी थी। हम चाहते हैं कि मेरी बेटी के साथ जघन्य हरकत करनेवालों को ऐसी सजा मिले जो सबके लिए मिसाल बने। हमें फांसी से कम कुछ भी और मंजूर नहीं है। चारों दोषियों को जब फांसी की सजा मिलेगी तभी हमारी बेटी को न्याय मिल सकेगा।