भारतीय मीडिया कैसा है ये किसी से छुपा नहीं है और दुनिया के अलग अलग मंचों पर समय समय पर इनकी थू-थू होती रहती है! और इसके जिम्मेदार ये खुद हैं यह भी कोई रहस्य नहीं क्योंकि इनके मालिकों की बड़ी महत्वाकांक्षाएं और मशहूर पत्रकारों के भारी खर्चों और विदेशी मीडिया घरों की बराबरी की चाह इनसे जो खर्चा करवाती हैं उसे पूरा करने के लिए इन्हे खूब रूपया कमाना होता है! रूपया कमाने के लिए भारी दर्शक वाली TRP दिखा कर प्रायोजकों से मोटा पैसा ऐंठने की होड़ इनमें लगी रहती है!
ऐसी स्तिथि में ये कुछ भी दिखा कर लोगों को अपने चैनल से बांध लेना चाहते हैं, चाहे टीवी सीरियलों की चर्चा दिखानी पड़े, नाग-नागिन के बदले की कहानी, भूत-प्रेत, आडम्बर करते बाबा लोग, खुद का भविष्य न जानने वाले पंडितों से भविष्यफ़ल, चीन-पाकिस्तान का इंडिया पर हमला या लोगों के दुःखो का तमाशा बना कर सरकार या किसी व्यक्ति को नायक या खलनायक बनाना! इनके कारन देश में क्या बुरा हो सकता है उससे इन्हे कोई मतलब नहीं, इनकी TRP उठनी चाहिए!
इन्हें इस बात से भी कोई मतलब नहीं कि हमारे लोग सालों से देश को विश्व में एक जिम्मेदार और समर्थ देश स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे भारत का दुनिया में सम्मान से नाम लिया जाये और लोग हमसे अच्छा व्यवहार और व्यापार करें! पर चंद रुपये कमाने के लिए और सनसनी फ़ैलाने के लिए ये देश को पूरी दुनिया में बदनाम करने से भी नहीं चूकते और जनता को बरगलाने से भी नहीं !
ताज़ा मामला कुछ समय पहले का है जब दिल्ली के किसी पत्रकार ने ये भ्रमित करने वाली ख़बर इंटरनेट पर डाल दी कि नयी मोदी सरकार के प्रभाव में सरकार के आयुष मंत्रालय(जो आयुर्वेद और दूसरी गैर-एलॉपथी उपचार को बढ़ावा देता है) ने एक बुकलेट छापी है जिसमें गर्भवती महिलाओं को मांसाहारी खाने से दूर रहने की सलाह दी गयी है! इस ख़बर को आधार बना कर सभी विदेशी मीडिया वालों ने मोदी सरकार की बुराई की और उसे भेदभाव पूर्ण व महिलाओं का शत्रु तक बताया!
बाद में पता चला वो बुकलेट कई साल पहले कांग्रेस सरकार के समय एक NGO ने छापी थी और मंत्रालय का उससे कोई सम्बन्ध नहीं है और मोदी सरकार का उससे कोई सरोकार नहीं !
एक सबसे बड़ा मामला निर्भया बलात्कार और उसके बाद हुए बलात्कारों का है जहाँ भारतीय मीडिया ने भारत की छवि एक बलात्कारी देश की दिखने की कोशिश की और पूरे विश्व में भारत को महिलाओं के लिया असुरक्षित देश घोषित करने की अप्रत्यक्ष कोशिश भारतीय मीडिया ने की और अमेरिकी चैनलों पर भी बलात्कारी इंडिया पर चर्चायें हुईं, जबकि सच्चाई जान आप चौंक जायेंगे !!
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१) भारत में सबसे कम बलात्कार दर है – 1.8-2 / 100,000, यानि १००००० की जनसँख्या पर अधिकतम २, इसके साथ ही भारत सबसे काम बलात्कार वाले कुछ देशों में से एक है। वास्तव में दुनिया की उन सभी संस्कृतियों में बलात्कार की दर कम है जो स्वदेशी भाव की हैं और अब्राहमिक आक्रान्ताई धर्म-संस्कृति से नहीं हैं।
२) यह आंकड़ा अंडर-रिपोर्टिंग के कारण नहीं है। अंडर-रिपोर्टिंग सभी देशों में एक कारक है। अमेरिका और कनाडा में हर दस बलात्कारों में से केवल एक ही रिपोर्ट की जाती है; 10 में से 1.5 ब्रिटेन; यूरोप में यह औसत ‘हर आठ में से एक’ है), भारत इस संबंध में बेहतर है जहाँ यह(10 में से 5.4) के बीच में है।
३) भारत में बलात्कार के तहत दायर झूठे मामलों की दर उच्चतम है और भारत में 10 में से 6 बलात्कार के मामले जो अभियोजन में जाते हैं
अदालत में जांच का सामना नहीं कर पाते (अमेरिका में यह आंकड़ा केवल 7% है)।
४) उपर्युक्त के बावजूद, इस अपराध में यहाँ बहुत अभियुक्तों को सज़ा मिलती है, भारत में सजा की दर फ्रांस की तरह दुनिया में सर्वोच्च (26.2%)है। यह अमेरिका में 1%, कनाडा में 2% और यूरोप में 7-8% है और वो भी इस तथ्य के बावजूद कि भारत में लोगों के अनुपात में सबसे कम पुलिस कर्मी मौजूद हैं, कारन ये की यहाँ का समाज कानून का हमेशा साथ देता है।
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५) भारत में बलात्कार की परिभाषा व्यापक परिभाषाओं में से एक है। (i) किसी नाबालिक को भगा ले जाना बलात्कार का रूप माना जाता है। (ii) अगर एक नाबालिग के साथ सहमति से सेक्स जैसे(अगर एक 1 9 वर्षीय लड़के का 17 साल की लड़की से यौन संबंध है) की रिपोर्ट की गई है तो एक बलात्कार के रूप में मुकदमा चलाया जा सकता है। (iii) शादी के वादे पर दो वयस्कों के बीच सहमति से सेक्स होने पर अगर वादा पूरा न हो तो बलात्कार के नाम पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
६) वैवाहिक बलात्कार हमेशा क्रूरता अधिनियम की रोकथाम के तहत दर्शाया गया था, यह अब घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत एक प्रावधान के तहत मान्यता प्राप्त है।
७) भारत में बालिक की आयु 18 वर्ष है (अमेरिका में 15 वर्षों, यूरोप में 14-15 वर्ष) की तुलना में। यह वास्तव में बलात्कार के आंकड़े को बढ़ावा देता है क्योंकि 14 से 18 साल के आयु वर्ग के सहमतिपूर्ण कृत्य / विवाह को बलात्कार के रूप में गिना जाता है।
अन्त में यदि बलात्कार साबित हुआ तो अपराधी को आजीवन कारावास हो सकता है। और यदि अपराध असाधारण हिंसा की श्रेणी में गिना गया तो मृत्युदंड भी हो सकता है।
इस पर भी कुछ लोग शरिया(इस्लामिक न्यायशास्त्र) का समर्थन करते हुए कहते हैं कि जहाँ शरिया है वहां कठोर दंड के कारन लोग बलात्कार नहीं करते, भारतीय कानून इस मामले में पर्याप्त नहीं!! उनको जवाब …
ध्यान रखें कि इस्लामिक न्यायशास्त्र में एक महिला को बलात्कार साबित करने के लिए उच्चतम नैतिक मानक के 4 गवाहों की आवश्यकता होती है, जो बलात्कार को साबित करने के लिए बलात्कार के वास्तविक कार्य को होते हुए देखे हों, अन्यथा वह एक सज्जन के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए दोषी ठहराई जाएगी और उसे कठोर दंड मिलेगा। अब यह तो आपकी मूर्खता है अगर आप 4 पुरुषों को बलात्कार होता हुआ देखने के लिए पहले बुलाये! इससे यह साबित होता है की इस्लाम में बलात्कारी को सज़ा देने की इच्छा ही नहीं है, सज़ा बलात्कार को सार्वजानिक करने पर ही है!
by अजेय
– Smita Mukerji और Khalid Umar की fb पोस्ट पर आधारित