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मसीहा नहीं हत्यारा निकला डॉ काफिल, खुद आक्सीजन संकट पैदाकर फोटो खिंचाकर हीरो बन गया

गोरखपुर त्रासदी में हुई 63 बच्चों की मौत के बाद यह मामला मीडिया में छाया हुआ है। इसी बीच मीडिया में एक डॉक्टर कफील अहमद का नाम उछला। बताया गया कि डॉ. कफील अहमद ने खुद भाग-दौड़ कर ऑक्सीजन के कई सिलेंडरों का इंतजाम किया था, जिससे कई बच्चों की जान बच सकी थी। जिसके बाद डॉ. कफील अहमद मीडिया में हीरो बन गया।

उसकी इंसानियत के चर्चे खूब हुए और बदले में उसे लोगों की खूब दुआएं मिली, लेकिन एक नए सनसनीखेज खुलासे में पता चला है कि असल में डॉ. कफील अहमद मसीहा नहीं बल्कि मासूमों के हत्यारा हैं।

प्राइवेट अस्पताल चलाता है डॉ कफील-

दरअसल जांच में पता चला है कि डॉ कफील अहमद का खुद का एक निजी अस्पताल भी है, जिसमें डॉ. कफील प्राइवेट प्रैक्टिस करता हैं।

बता दें कि डॉ. कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज से ऑक्सीजन सिलेंडर ले जाकर अपने अस्पताल में इस्तेमाल करता था। इतना ही नहीं अस्पताल प्रशासन की मिली भगत से इन ऑक्सीजन सिलेंडरों को बेचा भी जाता था।

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घटना वाली रात जब डॉ. कफील अहमद सिलेंडरों का इंतजाम करके लाया और मीडिया में यह बात फैली थी कि वह अपने परिचितों से ऑक्सीजन सिलेंडर मांगकर लाया हैं, दरअसल तब डॉ. कफील अहमद अपने निजी अस्पताल से बीआरडी मेडिकल कॉलेज के ही ऑक्सीजन सिलेंडरों को लेकर आया था, जिनका वहां इस्तेमाल किया जा रहा था।

यही कारण रहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की किल्लत हो गई और कई मासूम बेवक्त मौत के मुंह में समा गए। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि मासूमों की मौत के जिम्मेदार आरोपी डॉ. कफील अहमद को सख्त सजा दी जाए, ताकि कोई अपने फायदे के लिए इस तरह लोगों की जिन्दगी से ना खेले।

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महिला से दुष्कर्म का भी आरोपी है डॉ कफील-

डॉ. कफील पर सरकारी नौकरी के साथ प्राइवेट हास्पिटल चलाने का ही मामला नहीं है। उसके दामन पर कई और दाग लगे है। 2009 में मेडिकल कॉलेज की परीक्षा में दूसरे अभ्यर्थी से परीक्षा दिलाने में डॉ. काफिल पर केस चल रहा है। इसके अलावा 15 मार्च 2015 को एक महिला के साथ क्लीनिक पर दुष्कर्म करने का भी मुकदमा झेल रहा है।

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जब साथी डॉक्टर लगे थे इलाज में उस समय फोटो खिंचा रहा था कफील-

एक डॉक्टर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बताया कि जब पूरा स्टाफ मौत से जूझ रहे बच्चों की जिंदगी बचाने में जुटा था, उस वक्त डॉ. काफिल वार्ड की जगह बाहर कैंपस में बच्चों को चेक कर रहे थे। ध्यान इलाज में कम मीडिया वालों से बात करने में ज्यादा था। मकसद था हीरो बनने का। ऐसा साबित कर रहे थे, जैसे कि पूरी व्यवस्था वही चला रहे हों। जबकि बच्चों का इलाज बाहर कैंपस में नहीं अंदर वार्ड में होता है।

बता दें कि डॉ. कफील अहमद पर आरोप लगने के बाद अस्पताल प्रशासन ने उसे पद से बर्खास्त कर दिया है। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है और डॉ. कफील अहमद की तरह ही अन्य दोषी लोगों पर भी सख्त कारवाई की जाएगी।

 

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