मानव तस्करी के खिलाफ झारखंड के खूंटी में जागरुकता फैलाने के लिए नुक्कड़ नाटक करने गईं 5 लड़कियों से सामूहिक दुष्कर्म के मामले को लेकर चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। जाँच में पता चला जब इन लड़कियों को किडनैप किया गया था, तब वे कोचांग इलाके के स्टॉपमन मेमोरियल स्कूल में 300 बच्चों के सामने नुक्कड़ नाटक कर रही थीं। इस स्कूल का सचिव एक फादर हैं।
दुष्कर्म की शिकार एक पीड़िता ने बताया कि हम लोग उन बहशियों के सामने गिड़गिड़ाने लगे, माफी भी मांगी कि अब कभी इस गांव में नहीं आएंगे। लेकिन वे नहीं रुके। स्कूल के फादर ने भी हमारी कोई मदद नहीं की।
पुलिस ने भी पीड़िता के दावे की पुष्टि की है। खूंटी के एसपी अश्विनी सिन्हा ने कहा कि जब आरोपी स्कूल से सिस्टर्स को ले जा रहे थे। तब स्कूल के फादर ने आरोपियों से कहा कि ये सिस्टर हैं, इन्हें न ले जाएं। लेकिन तथाकथित फादर ने इस 5 लड़कियों को नहीं बचाया। फादर ने लड़कियों को आरोपियों के हवाले कर दिया, और पुलिस को इस घटना की सूचना देना भी उचित नहीं समझा। जिसके कारण इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया गया। पुलिस ने फादर अल्फांसो आईंद पर दुष्कर्मियों को लड़कियों को साथ ले जाने से न रोकने अौर पुलिस को सूचना नहीं देने का मामला दर्ज किया गया है।
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एक पीड़िता ने बताया, कि आरोपियों ने हमे उसी गाड़ी में बैठने को कहा जिससे हमारी टीम वहां पहुंची थी। एक आरोपी ने वहां खड़ी दोनों सिस्टर को भी गाड़ी में बैठने के लिए कहा। तभी वहां खड़े फादर ने कहा कि शी इज नन, इन्हें छोड़ दो, लेकिन हम लोगों की कोई मदद नहीं की, जिसके बाद आरोपी हम पांचों युवतियों को कुछ दूर आगे जंगल में ले गए।
उसके बाद वो लोग मारपीट करने लगे और कपड़े उतारने को कहा। हम लोग गिड़गिड़ाने लगे। माफी मांगी कि अब कभी इस गांव में नहीं आएंगे। इसके बाद उनकी दरिंदगी शुरू हो गई। सभी हमारे ऊपर टूट पड़े और दुष्कर्म करना शुरू कर दिया। हमारे रोने का भी उनपर कोई असर नहीं पड़ा। करीब चार घंटे तक उन लोगों ने जानवरों जैसा सलूक किया। इस दौरान उन लोगों ने हमारे ही मोबाइल से हमारा वीडियो बनाया और फोटो खींची।
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पीड़िता ने बताया, दुष्कर्म के बाद आरोपियों ने हमें स्कूल के पास लाकर छोड़ दिया। हम स्कूल पहुंचे तो सारी बात फादर और सिस्टर को बताई। उन्होंने कहा कि यह सब यहीं भूल जाओ। बात बाहर जाएगी तो मीडिया में फैल जाएगी। मैं इतना परेशान थी कि घर आकर खुद को कमरे में बंद कर लिया। आत्महत्या करने का मन हो रहा था, लेकिन हिम्मत कर अगले दिन यह बात एक दीदी को बताई। उन्होंने हिम्मत दी और इसकी जानकारी पुलिस के बड़े अधिकारी को दी गई।
पत्थलगड़ी आदिवासी समाज की परंपरा है, जिसके जरिए गांव का सीमांकन किया जाता है, लेकिन अब इसकी आड़ में गांव के बाहर अवैध तरीके से पत्थलगड़ी हो रही है। इसमें शामिल लोग ग्राम सभाओं में संविधान की गलत व्याख्या कर गांववालों को आंदोलन के लिए उकसा रहे हैं। इन ग्राम सभाओं का खौफ इतना बढ़ गया है कि पुलिस भी यहां जाने में कतराती है।
(भाषा से इनपुट के साथ)