पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन के मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने ममता सरकार को बड़ा झटका देते हुए मूर्ति विसर्जन पर राज्य सरकार का फैसला पलट दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पहले की तरह रात 12 बजे तक मूर्ति विसर्जन किया जा सकता है। पुलिस को इसके लिए व्यवस्था करनी होगी। हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा है कि वह दोनों कार्यक्रमों के लिए अलग-अलग रूट तैयार करें।
कोर्ट ने नहीं मानी सरकार की दलील-
हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाने से पहले गुरुवार को कहा कि सरकार को प्रतिबंध लगाना था तो सभी पर क्यों नहीं लगाया, सरकार लोगों की आस्था में दखल नहीं दे सकती है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल बिल्कुल गलत है। अदालत ने कहा, ‘सरकार के पास अधिकार है, लेकिन असीमित नहीं है। बिना किसी आधार के ताकत का इस्तेमाल गलत है। आखिरी विकल्प का फैसला सबसे बाद में करना चाहिए।
Durga idol immersion case: Acting Chief Justice of Calcutta HC to state govt,’just because you are the state, can you pass arbitrary order?’
— ANI (@ANI) September 21, 2017
हाई कोर्ट ने बुधवार को भी इस मुद्दे पर ममता सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से कहा था कि जब आप इस बात का दावा कर रहे हैं कि राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव है तो फिर आप खुद दो समुदायों के बीच सांप्रदायिक विभेद पैदा करने की कोशिश क्यों कर रही हैं?
Durga Idol Immersion Case: Calcutta HC tells state govt, ‘you are exercising extreme power without any basis.’
— ANI (@ANI) September 21, 2017
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इस पूजा में अंजलि समेत सभी विधियां शुभ समय के अनुसार होती है। मुख्यमंत्री के निर्देश से ऐसा लग रहा है जैसे यहां धार्मिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाई और पूछा, दो समुदाय एक साथ त्योहार क्यों नहीं मना सकते? दुर्गा पूजा और मुहर्रम को लेकर पहले कभी ऐसे हालात नहीं बने। उन्हें सद्भाव के साथ रहने दें। उनके बीच कोई लकीर न खींचें। उन्हें साथ-साथ रहने दें।
गौरतलब है इस साल दशहरा के अगले दिन ही मुहर्रम है। दशहरे के अगले दिन दुर्गा प्रतिमा भी विसर्जित की जाती है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विसर्जन की तारीख बढ़ाने का फैसला किया था, यानी बंगाल में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन 1 अक्टूबर की जगह 2 अक्टूबर को होगा। इससे नाराज होकर 14 सितंबर को अधिवक्ता अमरजीत रायचौधरी ने कलकत्ता हाई कोर्ट में PIL दाखिल की थी।
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बता दें पिछले साल भी ममता बनर्जी के इसी तरह के आदेश पर मामला कोर्ट में गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगते हुए कहा था कि ये तुष्टीकरण की नीति है और राजनीति को धर्म से न जोड़े। कोर्ट ने पिछली साल ये भी कहा था कि 1982 और 1983 में दशमी और मुहर्रम इसी तरह एक दिन आगे पीछे पड़ा था तब तो कोई पाबंदी नहीं लगाई गई थी।
भाजपा ने किया अदालत के फैसले का स्वागत-
बंगाल की भाजपा नेता रूपा गांगुली ने फैसले पर कहा कि हम बहुत खुश हैं कि जनता के पक्ष में फैसला आया है। हमें कुछ समय के लिए राजनीति को किनारे रखकर बंगाल की संस्कृति के बारे में सोचना चाहिए। ममता जानूबझकर लोगों को बांट रही हैं। वह डर रही हैं कि बंगाल में भाजपा अच्छा कर रही है और लोग उससे जुड़ रहे हैं। वहीं भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने कहा हाईकोर्ट के आदेश से साफ है कि राज्य सरकार कानून और व्यवस्था को बरकरार रखने में नाकाम रही है।
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