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हिन्दू नव वर्ष से क्या है गुड़ी-पड़वा, चेती-चाँद और उगादी उत्सव का रिश्ता : जानिए

हिंदू नया साल 2074 या विक्रम नव वर्ष संवत उत्तर भारत में हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, दिल्ली और उत्तरी भारत में मनाया जाता है जो पारंपरिक चंद्र पञ्चाङ्ग पर आधारित है जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (मार्च – अप्रैल) में आता है। 2017 में, नव संवत 29 मार्च को है। कुछ पंचांगों और कैलेंडर के अनुसार, यह 28 मार्च से शुरू हो रहा है। नया साल चैत्र के महीने में अमावसी (चंद्रमा) के बाद पहला दिन है। इस बार के नव वर्ष का नाम सौम्य संवत्सर है!

कहते हैं..

भूतकाल में लंका में राक्षसों का संहार कर अयोध्या लौटे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया |

ram rajyabhishek

विक्रम संवत नहीं बन पाया सरकारी कैलेंडर : सत्ता पर थी अंग्रेजों के अनुयायियों का कब्ज़ा

आजादी के बाद नवंबर, 1952 में वैज्ञानिक और औद्योगिक परिषद के द्वारा पंचाग सुधार समिति की स्थापना की गई. समिति ने 1955 में सौंपी अपनी रिपोर्ट में विक्रमी संवत को भी स्वीकार करने की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर ग्रेगेरियत कैलेंडर को ही सरकारी कामकाज हेतु उपयुक्त मानकर 22 मार्च, 1957 को इसे राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में स्वीकार किया गया.

चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :

  •  हिन्दू मान्यता अनुसार; चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा से एक अरब 97 करोड़ 39 लाख 49 हजार 114 साल पहले इसी दिन को ब्रह्मा जी ने सृष्टि का सृजन किया था.
  • सम्राट विक्रमादित्य ने 2074 साल पहले इसी दिन राज्य स्थापित कर विक्रम संवत की शुरुआत की.
  • लंका में राक्षसों का संहार कर अयोध्या लौटे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम का राज्याभिषेक इसी दिन किया गया.
  • शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है.
  • प्रभु राम के जन्मदिन रामनवमी से पूर्व नौ दिन उत्सव मनाने का प्रथम दिन.
  • शालिवाहन संवत्सर का प्रारंभ दिवस. विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु इसी दिन का चयन किया.
  • समाज को अच्छे मार्ग पर ले जाने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की.
  • सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगददेव का जन्म दिवस.
  • सिंध प्रांत के प्रसिद्घ समाज रक्षक वरुणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रकट हुए.
  • युगाब्द संवत्सर का प्रथम दिन, 5116 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ.
  • इसी दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार का जन्मदिवस भी है.

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प्राकृतिक महत्व :

  • वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है, जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चहुं ओर पुष्पों की सुगंध से भरी होती है.
  • फसल पकने का प्रारंभ यानी किसान की मेहनत का फल मिलने का समय भी यही होता है.
  • नक्षत्र शुभ स्थिति में होते है. यानी किसी भी कार्य प्रारंभ करने के लिए शुभ मुहूर्त होता है.

सांस्कृतिक महत्त्व और भारतीय उत्सव :

 

  • आंध्र में यह पर्व उगादि नाम से मनाया जाता है।
  • उगादि का अर्थ होता है युग का प्रारंभ, अथवा ब्रहमा की सृष्टि रचना का पहला दिन।
  • इस प्रतिपदा तिथि को ही जम्मू- कश्मीर में नवरेह,
  • महाराष्ट्र में गुडी पड़वा,
  • सिंध में चेतीचंड,

हिन्दू नव वर्ष, hindu new year

 

  • ईरान में इस तिथि के आस-पास ही नौरोज यानी नया वर्ष मनाया जाता है।
  • पंजाब में बैसाखी,
  • केरल में ‘विशु’
  • असम में रोंगली बिहू भी लगभग इस तिथि के कुछ दिन आगे ही आती है, क्योंकि इनके तिथि की गणना
    सूर्य पञ्चांग के अनुरूप होती है, चंद्र के अनुरूप नहीं !

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